व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी और सोने की झूठी तुलना

 व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी और सोने की झूठी तुलना

10 ग्राम सोना ₹1 लाख से अधिक का हो गया है। इसे लेकर मोदी मोदी भी हो रहा है। क्या सोना प्रधानमंत्री मोदी के किसी फैसले के कारण मुनाफा दे रहा है? खुद प्रधानमंत्री मोदी को भी पता नहीं होगा कि सोना उनकी वजह से ₹1 लाख का हो गया है। लेकिन सोशल मीडिया पर समर्थकों की फौज ढोल पीट रही है। तुलना हो रही है कि जिसने मनमोहन सिंह के समय 10 ग्राम सोना ₹25,000 में खरीदा वह अब ₹1 लाख का हो गया है। फायदा ही फायदा हुआ है। इस तरह की दलीलें WhatsApp यूनिवर्सिटी में खूब चलती हैं। वही लोग तुरंत विश्वास करते हैं जो रोते रहते हैं कि उन्हें इतिहास नहीं पढ़ाया गया। अगर एक और हिसाब निकाल दिया जाए कि आपने अटल बिहारी वाजपेई के समय यानी 2003 में 10 ग्राम सोना ₹5600 का खरीदा था तो वह मनमोहन सिंह के समय यानी 2013 में ₹29,000 का हो गया। पांच गुना बढ़ा। मनमोहन सिंह के 2510 ग्राम से प्रधानमंत्री मोदी के समय 1 लाख हुआ। यह तो चार गुना बढ़ा। लेकिन क्या इससे आप बहस जीत जाते हैं? बकवास बात है। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार सोने के मामले में कहीं से कोई एक्सपर्ट नहीं है। इस सरकार ने सोवरन गारंटी के साथ गोल्ड बॉन्ड जारी किया था लेकिन जैसे ही सोने का भाव बढ़ने लगा बंद भी कर दिया। 2015 में इसके ल्च के समय कहा गया कि इससे सोने के आयात में कमी आएगी। आ गई क्या कमी? अगर ऐसा था तो 2015 की स्कीम को अचानक 2025 में क्यों बंद किया गया? क्योंकि सोने का दाम इतना ज्यादा हो गया है कि आप उस भाव पर निवेशक को रिटर्न देंगे तो सरकार का खजाना खाली हो जाएगा। कंगाल हो जाएंगे। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ का बयान है कि इस स्कीम को जारी रखना सरकार के लिए काफी महंगा साबित हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस मूर्खता के कारण सरकार पर उल्टा ₹15 लाख करोड़ का बोझ बढ़ गया। यही नहीं रिजर्व बैंक को रिटर्न की प्राइस फिक्स करनी पड़ी कि एक यूनिट का 8624 ही दिया जाएगा। अगर सोने का दाम बढ़ने से फायदा हो रहा है तो बीजेपी के समर्थक इस सवाल का जवाब दें। छोड़िए मनमोहन सिंह के समय निवेश करने वालों की चिंता। उनके फायदे की बात मत कीजिए। मोदी सरकार के समय जिन्होंने सोवरन गोल्ड बॉन्ड खरीदा, उन्हें लाभ का कितना अवसर मिल रहा है? 10 ग्राम 1 लाख से अधिक का हो गया। क्या इससे उन्हें छ गुना, पांच गुना, चार गुना मुनाफा मिल रहा है? जिस प्रधानमंत्री के पास इसका जवाब तक नहीं कि राजस्थान मे 59,000 चपरासी की वैकेंसी के लिए 24 लाख से अधिक आवेदन कहां से आ गए? इनमें एमबीए, इंजीनियर पीएचडी कैसे हैं? वो अगर सोने के निवेश को लेकर अर्थशास्त्री बन गए होते तो हर दिन रैली में सोना खरीदो सोना खरीदो कहते रहते। भारत के लिए कच्चे तेल का दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में 68.34 का हो गया है। यह 47 महीने में यानी 3 साल से अधिक समय का न्यूनतम दाम है। तब भी पेट्रोल और डीजल का दाम कम नहीं कर पा रहे हैं। ना लोगों को समझ में आ रहा है कि मांग भी करें। लोगों की जेब से पैसे लिए जा रहे हैं। लेकिन सोने का दाम बढ़वा रह हैं मोदी जी ताकि लोगों को फायदा हो। बचा लीजिए इस तरह की लॉजिक से खुद को। वरना गड्ढे को दोष मत दीजिएगा जब आप गिर जाएंगे। लेकिन लोग हैरान तो हैं कि 10 ग्राम सोना 1 लाख का कैसे हो गया और कितना बढ़ जाएगा? कहीं गिर गया तो कितना गिर जाएगा? मॉर्निंग स्टार नाम के अमेरिकी फाइनेंसियल फर्म का कहना है कि सोने का भाव गिरेगा भी और यह 5610 ग्राम पर आ जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो 1 लाख के स्तर पर सोने में निवेश करने वाले बालकनी में जाकर थाली जरूर बजाएंगे। लेकिन इस भविष्यवाणी को भी सुन लीजिए। गोल्डमैन सेक्स ने अनुमान लगाया है कि 2025 खत्म होते-होते 10 ग्राम सोना $1,26,000 से अधिक का हो जाएगा। यानी $200 और बढ़ेगा। $3700 तक जाएगा। ज्यादा जोखिम के मार्केट में गोल्डमैन सेक्स ने सोने के $45000 तक पहुंचने का अनुमान लगाया है। यानी $1000 की वृद्धि अभी और हो सकती है। किसका दावा सच होगा और किसका गलत? यह हम नहीं बता सकते। लेकिन हम इसमें जरूर दिमाग लगाना चाहते हैं कि सोना खरीद कौन रहा है? क्यों महंगा हो रहा है। कहीं ऐसा ना हो जाए कि सोना-सोना सुनकर लोग बैंकों से पैसे निकालकर जौहरी की दुकान के आगे लाइन में खड़े हो जाएं। कहीं दाम गिरने लगा तो शेयर बाजार के मारे यह लोग सोने की खरीद के बाद पानी भी मांगने के लायक नहीं बचेंगे।



सोवरन गोल्ड बॉन्ड: मोदी सरकार की सोने पर सियासत

 10 ग्राम सोने का भाव 1 लाख तक पहुंच जाना उससे अधिक हो जाना भारत और दुनिया की अर्थव्यवस्था के बारे में क्या बताता है? क्या अर्थव्यवस्था भयंकर संकट की चपेट में है? कोई भी सहज बुद्धि से पता कर सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था अस्थिर है। शेयर बाजार में निवेश करना खतरे से खाली नहीं। दूसरा सोना किसकी वजह से महंगा हो रहा है? यह हमारा बड़ा सवाल है। क्या वाकई आम मिडिल क्लास को फायदा हो रहा है? हम इन सवालों की पड़ताल इस वीडियो में कर रहे हैं। हमने कई जगहों से जानकारी जुटाई है और आपके लिए हिंदी में यह वीडियो बनाया है ताकि पता रहे कि सोना इतना महंगा हो रहा है। यह किसका खेल है और इस खेल में आप हारेंगे या जीतेंगे। जुलाई 2024 में सोने का भाव 1 महीने में 6000 महंगा हो गया। 1 जुलाई 2024 को 10 ग्राम सोने का भाव 67,850 था। 17 जुलाई को बढ़कर ₹73,880 हो गया। लेकिन गिरा भी 31 जुलाई को ₹68,820 पर आ गया। उसके बाद से सोना ऊपर नीचे होता रहा और अब 10 ग्राम सोना ₹1 लाख से अधिक का हो गया है। 10 मई 2024 को अक्षय तृतीया थी। उस दिन 10 ग्राम सोने का भाव ₹73,240 था। 11 महीने में 10 ग्राम सोन का भाव ₹96,000 पर पहुंच गया। 31% से ज्यादा का फायदा हुआ। इस साल अप्रैल महीने की शुरुआत में 10 ग्राम सोना 91,000 के रेट पर पहुंचा। अभी महीना खत्म होने में 8 दिन बाकी है। सोना 1 लाख से ज्यादा का हो गया है। जिसने सोने में निवेश किया है। पहले वो आज मुस्कुरा तो रहा होगा। तो कौन है आप में से स्मार्ट जो पिछले 1 साल में या उसके पहले से सोने में निवेश कर रहा था। यह पता किया जाना चाहिए कि सोने में निवेश करने वाले कौन-कौन हैं। मिडिल क्लास आम गृणणी या बड़े-बड़े धनवान जो अपना पैसा शेयर बाजार और कंपनियों से निकालकर सोने में गाड़ रहे हैं। मत भूलिए कि बैंकों ने बचत खातों पर ब्याज दरें घटा दी हैं आपके लिए। कई बैंकों में सेविंग अकाउंट पर ब्याज दर 3% या उससे भी कम कर दिया गया है। फिक्स्ड डिपॉजिट के रेट घटाए जाने लगे हैं। आपका पैसा मिट्टी होता जा रहा है और सोने के दाम के लिए आपको मेडल दिया जा रहा है। यह कुछ ज्यादा नहीं हो रहा। Kotak Mahindra बैंक के उदय कोटक भारत की गृणियों की तारीफ कर रहे हैं। कह रहे हैं वे दुनिया में सबसे स्मार्ट फंड मैनेजर हैं। सरकार सेंट्रल बैंक और अर्थशास्त्री को भी भारत से सीखना चाहिए कहते हैं। क्या सचमुच यह भारत की महिलाओं का चमत्कार है कि उन्होंने सोने में निवेश किया?

महंगाई में क्यों चमक रहा है सोना?

 पहले भी तो भारतीय महिलाएं सोने में निवेश कर रही थी। टुकड़े-टुकड़े में सोना खरीद रही थी। क्या पिछले 2 साल में ऐसा कुछ देखने को मिल रहा है कि भारत की महिलाएं सोना खरीदने लगी हैं। उनके पास इतना ज्यादा पैसा आ गया है कि 10 ग्राम सोने का भाव वो खरीदते खरीदते 1 लाख के पार ले गई हैं। बकवास की भी एक सीमा होती है। सवाल शुरू होता है संदेह से। क्या वाकई यह समय है भारत की गृणियों की तारीफ का या उन्हें आगे कर कोई सच्चाई छिपाने का प्रयास कर रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं कि इसके पीछे उद्योगपति और निवेशक एक सच को छुपा रहे हैं कि वे सोने में पैसा लगा रहे हैं क्योंकि उन्हें दिख गया है कि मंदी आने वाली है। अर्थव्यवस्था में जान नहीं बची है तो पैसा बैंक में मत रखो। शेयर बाजार में मत रखो। सोने में लगा दो। जैसा भी होगा जितना भी होगा अपने पास तो रहेगा। संकट की बात अगर वह कह देंगे तो फंस जाएंगे। इसलिए महिलाओं को श्रेय देकर निकल जा रहे हैं। तो फिर यह खबर क्या कहती है? सोना गिरवी रखकर लोग लोन क्यों ले रहे हैं? जब गिरवी रखने की खबर आती है तब तो कोई उदय कोटक भारत की गृ हालत को लेकर चिंता नहीं जताते। 1 साल में गोल्ड लोन लेने में 76% की वृद्धि हुई है। यह रिजर्व बैंक का खुद का आंकड़ा है। कुछ अनुमानों के मुताबिक भारत के परिवारों के पास 24,000 टन सोना है। दुनिया भर के बैंकों में जितना सोना जमा है, तकरीबन उतना सोना तो भारत के घरों में है। तो क्या अब इस सोने से ही लोन लेकर अपना घर चला रहे हैं? लोगों के घरों में जो सोना है, उससे अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ रहा है? खबरें हैं कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया गोल्ड लोन देने के नियमों में बदलाव करने की तैयारी में है। गोल्ड लोन पर जारी हुई ड्राफ्ट गाइडलाइन में लिखा है कि बैंकों और एनबीएफसी को गोल्ड लोन देने में अपनी सभी शाखाओं में एक समान प्रक्रिया अपनानी होगी। कलेक्शन और हिसाब करने की प्रक्रिया को स्थापित करना होगा ताकि कोई गड़बड़ी ना हो। सोने की गुणवत्ता के आकलन के लिए मानकों का सख्ती से पालन करना होगा। बिजनेस स्टैंडर्ड की अनुप्रेक्षा जैन ने एनबीएफसी क्षेत्र के जानकारों के हवाले से लिखा है कि इससे गोल्ड लोन की कीमत में 2 से 5% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। जाहिर है इसका असर उपभोक्ता पर ही पड़ेगा। उसके लिए लोन और महंगा हो जाएगा। 10 ग्राम सोने का दाम जितना नहीं बढ़ा उससे कहीं ज्यादा सोना गिरवी रखकर लोन लेने वालों का प्रतिशत बढ़ गया है। पत्रकार विवेक कौल ने गोल्ड लोन को लेकर नवंबर महीने में एक बात कही थी। उस समय सितंबर 2024 में सोने के जेवरात के बदले लोन की मात्रा में 50% से अधिक की वृद्धि हो गई थी।

गोल्ड लोन में बूम: मिडिल क्लास की मजबूरी या चतुराई?

 3 साल में सबसे अधिक वृद्धि बताई गई। इस पर विवेक कॉल ने कहा कि शादियों को लेकर बताया जाता है कि वे आर्थिक विकास में सहायक होती हैं जो कि सही भी है। मगर जेवरात के बदले लोन लेने का आंकड़ा बता रहा है कि शायद शादी के कारण लोग कर्ज में डूबते भी जा रहे हैं। सभी गोल्ड लोन संगठित क्षेत्र से नहीं लिए जाते। असंगठित क्षेत्र में क्या हो रहा है, यह हम नहीं जान सकते। विवेक कॉल का इशारा शायद साहूकारों की तरफ है। तो गेम आपको समझ में आया? असंगठित क्षेत्र में क्या हो रहा है? किसी को पता नहीं। कोई सवाल नहीं कि क्यों नहीं पता। आपके सामने सोने को लेकर दो-तीन प्रकार की खबरें हैं। 10 ग्राम सोना 1 लाख से अधिक का हुआ तो उसके पहले ही गोल्ड बॉन्ड बंद कर दिया गया और लोग सोना गिरवी रखकर लोन लेने लगे। सवाल है कि सोने में निवेश कौन कर रहा है? गृणणी या उद्योगपति या बड़े-बड़े फंड या काला धन के स्वामी? क्या आपको अफसोस हो रहा है कि आपने सोने में निवेश नहीं किया? अफसोस हो सकता है। शादी का सीजन आ रहा है। उन लोगों का क्या होगा? साधारण मिडिल क्लास के परिवार वाले भी तो पिस जाएंगे। भारत का समाज भीतर से एक सड़ा हुआ समाज है। यह शादी में दिखता है। बस ज्यादा ना दिख जाए इसके लिए लोग लाखों रुपए का खर्च कर मैरिज हॉल को सजा देते हैं और दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ा देते हैं। मिडिल क्लास पर लड़के वालों की तरफ से सोने की मांग बढ़ती जाएगी और लड़की वाले मांग पूरी करने में मरते चले जाएंगे। तो इस सवाल का जवाब ढूंढा जाना चाहिए कि सोने का महंगा होना किसके लिए अच्छा है? उन बड़े निवेशकों, काले धन के स्वामियों के लिए जो लाखों रुपए का सोना खरीद सकते हैं, खरीद रहे हैं या उस मिडिल क्लास के लिए जो इसे एक बचत के रूप में पसीने की कमाई से काट काट कर खरीदता रहता है। दुनिया के अखबारों में साल 2025 से ज्यादा साल 1930 की चर्चा हो रही है। इस साल महामंदी की याद की जा रही है। बार-बार कहा जा रहा है कि ट्रंप ने टेरिफ की राजनीति शुरू कर दुनिया को मंदी की तरफ धकेल दिया। शेयर बाजार में निवेश करना असुरक्षित हो गया तो लोग सोने में निवेश कर रहे हैं ताकि जब करेंसी टूट जाएगी तो कम से कम सोने का ढेला तो बचा रह जाएगा। अगर सोना का महंगा होना अर्थव्यवस्था की तबाही का संकेत है तब तो खुश होने वाली बात नहीं। इसका एक अंतरराष्ट्रीय पहलू भी है। अमेरिका में भारत की तरह महिलाएं सोना नहीं खरीदती लेकिन वहां भी सोने का भाव बढ़ रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप और अमेरिका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर के बीच तनातनी हो रही है। अमेरिका में भी सोना का भाव $3500 से ऊपर चला गया है। अमेरिका के फेडरल बैंक के अध्यक्ष जेरोम पावल ने कह दिया कि ट्रंप के लगाए टेरिफ के कारण आने वाले समय में विकास की रफ्तार कम हो सकती है।

महिलाओं का इन्वेस्टमेंट नैरेटिव: हकीकत या भ्रम?

 महंगाई बेरोजगारी बढ़ सकती है। इस बात से ट्रंप नाराज हो गए। पावल को लूजर कहने लगे और मांग करने लगे कि फेडरल बैंक इंटरेस्ट रेट तुरंत कम करें। पावल के महंगाई वाले बयान के बाद ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से कह दिया इन्हें जल्द से जल्द बर्खास्त कर दिया जाए। ट्रंप के बयानों के बाद मार्केट और सरकारी बॉन्ड दोनों में तेजी से गिरावट देखी गई। विश्लेषकों का मानना है कि सबसे पैदा हुई अस्थिरता के कारण भी सोने के दाम ने इस हफ्ते छलांग लगाई। अकेले 2025 में सोने का दाम 30% बढ़ा है। अप्रैल के 20 दिनों में सोने के दाम में 8% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। तो मानव जाति के इतिहास में अभी तक सवा दो लाख टन से कुछ कम सोने का खनन हुआ है। जाहिर है सोना कम है। जिस देश के भंडार में सोना ज्यादा होगा उसकी मुद्रा का भाव ज्यादा होगा। अमेरिका के पास 8134 टन सोना का रिजर्व है। दूसरे नंबर पर जर्मनी आता है। उसके पास 3300 टन का भंडार है। तीसरे नंबर पर चीन है जो अमेरिका से बहुत पीछे है। चीन के पास 2280 टन का रिजर्व है और भारत तो इन तीन देशों से बहुत पीछे है। दिसंबर 2024 तक भारत के पास सोने का रिजर्व 876 टन का रहा। भारत के गणियों के पास जितना भी सोना हो, भारत के सेंट्रल बैंक के पास सोने का रिजर्व कई देशों से कम है और भारत के परिवारों के पास जितना सोना है उससे भी काफी कम है। अमेरिका में आम लोग सोना नहीं खरीदते लेकिन उसके सेंट्रल बैंक के पास जितना सोना है उससे डॉलर आज दुनिया पर राज कर रहा है। एचएसबीसी ग्लोबल ने एक अध्ययन किया है। इसके अनुसार भारत के परिवारों के पास 25,000 टन से ज्यादा सोना है। तब तो यह दुनिया के 10 बड़े सेंट्रल बैंकों से भी ज्यादा है। चीन के परिवारों के पास 20,000 टन सोने का रिजर्व है। कई जगहों पर ऐसी रिपोर्ट छपी मिली कि भारत, तुर्की, पोलैंड, चीन के सेंट्रल बैंक खूब सारा सोना खरीद रहे हैं। क्योंकि मार्केट की अर्थव्यवस्था डमाडोल है। मुद्रास्फीति के नियंत्रण में आने के आसार नजर नहीं आते। 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक सोना खरीदने के मामले में दुनिया का तीसरा बड़ा बैंक बन गया। भारत से ज्यादा सोना सिर्फ पोलैंड और तुर्की ने खरीदा। आरबीआई ने 72.6 टन सोना एक साल में खरीदा। 2023 की तुलना में चार गुना अधिक। 

वैश्विक मंदी और डॉलर संकट का गोल्ड कनेक्शन

अप्रैल 2024 में रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर शक्तिकांत दास ने बयान दिया कि हम गोल्ड रिजर्व बड़ा कर रहे हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट है कि 2024 में आरबीआई ने अपने गोल्ड रिजर्व में 9% की वृद्धि की। आरबीआई ने 2024 के 12 महीनों में से 11 महीने सोना खरीदा। नेशनल बैंक ऑफ पोलैंड ने भी 90 टन सोना खरीदा है। भारत से ज्यादा। नेशनल बैंक ऑफ पोलैंड के प्रेसिडेंट तो खुलकर सोने में निवेश की वकालत करते हैं। 2024 में चीन के पीपल्स बैंक ने 44 टन सोना खरीदा। तुर्किए ने तो चीन से भी ज्यादा सोना खरीदा। चीन के निवेशक गोल्ड ईटीएफ में खूब पैसा लगा रहे हैं। होड़ मची है कि खुद को बचाना है। अपने पैसे को बचाना है तो सोना खरीदो। इसका असर क्या होगा हमारी आपकी अर्थव्यवस्था पर इस पर बात होनी चाहिए। सेंट्रल बैंक दुनिया भर के खरीद रहे हैं सोना। इसका मतलब है उनका मौजूदा अर्थव्यवस्था में विश्वास हिल गया है। मीडिया रिपोर्ट से एक और बड़े खरीदार का पता चला। म्यूच्यूल फंड का। आप शेयर की तरह सोना खरीद सकते हैं। इसे ही ईटीएफ कहते हैं। एसोसिएशन ऑफ म्यूच्यूल फंड्स इन इंडिया एमएफआई के अनुसार सोने के ईटीएफ में म्यूच्यूल फंड का निवेश बढ़ गया है। 1 साल के भीतर फरवरी महीने में 95% बढ़ गया। क्या इस दौरान आपने म्यूचुअल फंड की एसआईपी बंद होने की रिपोर्ट नहीं देखी? मार्च महीने में एसआईपी के जितने खाते खुले हैं उससे ज्यादा बंद हुए हैं। स्मार्ट निवेशक गणियां नहीं है। बैंक हैं, धनवान लोग हैं। भारत के लोग सोना बेचने के लिए नहीं खरीदते। इतनी आसानी से बेचना भी नहीं चाहते। तो सोना गृहियां नहीं खरीद रही हैं। बाजार में इस तरह की बातें चल रही हैं कि लोग 22 कैरेट की जगह 18 कैरेट का सोना खरीदने लगे हैं। नकली गहने का इस्तेमाल बढ़ गया है। अपनी पसंद से समझौता करने लगे हैं। इसी साल फरवरी की यह खबर है सीएनबीc टीवी 18 की शिवानी बजाज की। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में सोने के गहनों की मांग में 7% की कमी आ गई है और गोल्ड ईटीएफ में 216% का उछाल आया है। 2024 में सोना के दाम में 15% का उछाल आया। इससे गहने बनवाना महंगा हो गया। मेकिंग चार्ज भी 10 से 25% महंगा हुआ है। एक और रिपोर्ट से जानकारी मिली कि सोना गिरवी रखने वालों में महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। 5 साल में 22% बढ़ गई है। अगर महिलाएं इस कदर खुश हैं तो जहरी बाजार से रिपोर्टिंग क्यों नहीं हो रही? मीडिया क्यों नहीं गृहिणीयों को आगे ला रहा है कि वे इससे कितना खुश हैं? बजट की तारीफ करवानी होती है तो रसोई घर तक चले जाते हैं और 10 ग्राम सोना 1 लाख से अधिक का हो गया है। इस पर गृहिणीयों की कोई आवाज नहीं। एक से एक एक्सपर्ट आ गए हैं मार्केट में जिन्हें अब दिखने लगा है कि निफ्टी के रिटर्न से भी ज्यादा सोने में निवेश का रिटर्न है। यह बताने लगे हैं कि एक साल में सोने का रिटर्न 40% के करीब हो चुका है। इतना रिटर्न शेयर बाजार से नहीं मिलेगा। निफ्टी से भी ज्यादा रिटर्न सोना में निवेश करने से मिल रहा है। तो क्या यह ज्ञान प्राप्ति इन एक्सपर्ट को अभी-अभी हुई है? सोना तो कई साल से धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है। सवाल है कि इतनी तेजी से 1 लाख के पार कैसे पहुंचा? क्यों पहुंचा? यह एक्सपर्ट असली बात क्यों नहीं बता रहे हैं?

सरकार की मौद्रिक नीति: सोना खरीदो या सब्र करो?



 आप देखिएगा जैसे ही सोने का भाव गिरेगा, यही एक्सपर्ट अपनी सूट और टाई भी नहीं बदलेंगे। उसी कपड़े में आ जाएंगे और सोने को भला-बुरा कहने लग जाएंगे। शेयर बाजार में निवेश को अच्छा बताने लग जाएंगे। 10 ग्राम सोना 1 लाख से अधिक का होगा तो भारत की गृहिणीयों की पहुंच से दूर भी हो जाएगा। वो बेचने तो जाएंगी, खरीदने नहीं जा सकेंगी। सोने का दाम देखकर यह मत समझिए कि भारत की अर्थव्यवस्था आसमान छू रही है। अर्थव्यवस्था के लिए यह कोई अच्छा संकेत नहीं है। बिजनेस स्टैंडर्ड में हिमाली पटेल का यह लेख पढ़िए। कह रही हैं कि भारत में पिछले 6 महीने में इक्विटी से मिलने वाला रिटर्न घटा है। बाजार की अस्थिरता खत्म होने का नाम नहीं ले रही। पिछले 6 महीने में मिड कैप और स्माल कैप का रिटर्न 11 से 14% ही रहा। अमेरिका के nसdc और एसएपी भी 6 महीने में 8% नीचे आ गए। इस बीच रिजर्व बैंक ने रेपो रेट कम कर दिया जिससे फिक्स्ड डिपॉजिट का रिटर्न फिर से घटने लगा। इसलिए लोग फिक्स्ड डिपॉजिट के अलग-अलग तरीकों की तरफ भाग रहे हैं। सोने में निवेश फिक्स माना जाता है। सोना को लेकर एक्सपर्ट सुझाव दे रहे हैं कि अपने निवेश का 5 से 10% हिस्सा सोना में लगाइए। इसे लंबे समय के लिए रखिए। मिंट अखबार में एक सीरीज छप रही है। गुरु पोर्टफोलियो सीरीज। इसमें तरह-तरह के एक्सपर्ट बता रहे हैं आप कहां-कहां निवेश करें। जैसे 21 अप्रैल को पत्रकार जस कृपलानी ने डीएसपी म्यूच्यूल फंड के सीईओ कल्पेन पारिक से बात की। कल्पेन के बारे में लिखा है कि वह हाइब्रिड निवेश कर रहे हैं। सोने के रिटर्न के बारे में कहते हैं 1 साल में करीब 40% रिटर्न दिया है जो कि सोने के 11% के दीर्घकालिक यानी लॉन्ग टर्म औसत रिटर्न से 3.5 गुना अधिक है। यहां लोगों को इसी का पता नहीं कि अगले महीने उनकी नौकरी रहेगी या नहीं। लेकिन मास्टर क्लास वाले गुरु 30-30 साल तक के निवेश का प्लान बता रहे हैं। तो समझना होगा यह सब किसके लिए होता है। बहुत सावधानी से और विवेक के साथ निवेश करना चाहिए। कहीं भी मंदी की भविष्यवाणी और उछाल की उम्मीद पैदा करने वाले एक्सपर्ट की कोई कमी नहीं। है वैसे एक ही। निवेश से पहले हमेशा पता कीजिए सोना कौन खरीद रहा है? किसका पैसा लग रहा है? मिडिल क्लास का, गृ या धनवानों का धनवानों का लग रहा है तो उनका मकसद क्या है? आप 30 साल का लगा रहे हैं। क्या पता वो 30 दिनों का सोच कर लगा रहे हो। भारत की अर्थव्यवस्था में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जिसे लेकर आप इस वक्त जश्न मनाने लग जाए। और जब यही नहीं हुआ है तब डरना चाहिए कि आपका सोना कहीं मिट्टी तो नहीं हो जाएगा।


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