देश जो चाहता है, वही होगा— एक राजनीतिक जुमला या जनभावना का प्रतिबिंब?

 देश जो चाहता है, वही होगा— एक राजनीतिक जुमला या जनभावना का प्रतिबिंब?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि देश जो चाहता है वही होगा। इतनी सी बात पर जोरदार तालियां बज गई। इसी बात पर देश को अपनी-अपनी चाहतों की सूची बना लेनी चाहिए ताकि राजनाथ सिंह पूरी कर दें। तो क्या माना जाए कि सरकार कुछ करने जा रही है। मिट्टी में मिला देंगे के बयान के बाद राजनाथ सिंह का यह बयान और प्रधानमंत्री का वायु सेना और नौसेना के प्रमुखों से मिलने की खबर को किसी संदर्भ में देखने से पहले आपको यह भी देखना चाहिए कि देश इस वक्त कैसा नजर आ रहा है। वह चाहता क्या है और चाहने वाले कौन-कौन हैं। रविंद्र रैना बीजेपी के ऊर्जावान नेता ऊर्जा ना होती तो बर्फ में इस तरह उछलते उड़ते रील ना बना रहे होते और उनके पीछे बंदूकधारी सुरक्षाकर्मी दौड़ते दौड़ते हाफ ना रहे होते इसे लेकर विवाद हो गया है कि रैना के पीछे इतने सुरक्षाकर्मी नजर आ रहे हैं और वे हवा में तैरते हुए रील बनवा रहे हैं। कांग्रेस ने इसकी आलोचना की और इस तस्वीर की तुलना किरण पटेल नाम के उस फ्रॉड से कर दी जो खुद को पीएमओ का बताकर कश्मीर की सैर करता रहा। इस देश में रैना जैसों की चाहतों के लिए कितनी जगह है। रविंद्र रैना का बयान आ गया है कि अब वीडियो जनवरी 2025 का है। वे करना घाटी में लोगों की सुरक्षा का जायजा लेने गए थे। कांग्रेस उनके वीडियो को लेकर दुष्प्रचार कर रही है। कई बार लगता है कि देश कुछ चाहे ना चाहे हर वक्त डायलॉग जरूर सुनना चाहता है। और उसी अंदाज में रक्षा मंत्री ने देश की इच्छा पूरी भी कर दी। इसलिए मिट्टी में मिला देने के बाद नया ल्च हुआ। देश जो चाहता है वह पूरा होगा। लेकिन देश क्या वही चाहता है जिसकी तरफ राजनाथ सिंह इशारा कर रहे हैं? क्या राजनाथ सिंह के देश की कल्पना में हिमांशी नरवाल भी हैं। उसकी बातों के लिए कोई जगह है? सेना में सैनिकों की विधवाओं के पुनर्वास के लिए एक बोर्ड है जिसे डिपार्टमेंट ऑफ एक्स सर्विसमैन वेलफेयर कहा जाता है। यह विभाग रक्षा मंत्रालय के तहत आता है। इस विभाग की वेबसाइट पर लिखा है कि सेना से रिटायर हुए सैनिकों और सैनिकों की विधवाओं के लिए यह विभाग है। भारत में 7 लाख से अधिक सैनिक विधवाएं हैं। तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह क्या इस देश में हिमांशी नरवाल की आवाज के लिए जगह देखते हैं? सवाल रक्षा मंत्री से है कि वे हिमांशी नरवाल को दी जा रही गालियों पर क्यों चुप हैं? जब से हमने रक्षा मंत्री का यह बयान सुना कि देश जो चाहता है वह भी पूरा होगा तब से हम उस देश में हिमांशी नरवाल का चेहरा भी ढूंढ रहे हैं और उन लोगों का भी जो हिमांशी के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां कर रहे हैं। उसके शोक के दिनों में उसे गालियां देने वाले राष्ट्रवादी पुरुषों और महिलाओं को भी देख रहे हैं। जिनमें से कुछ खुद को सनातनी बताते हैं। 



राजनाथ सिंह का बयान: ‘देश जो चाहता है, वो होगा’—आख़िर कौन-सा देश?

लेकिन इसी बीच बिजली कौदती है और दिख गया एक और चेहरा गौतम अडानी का चेहरा। अडानी के बिना तो देश कभी दिखता ही नहीं और देश को जहां से भी देखिए अडानी दिखाई दे जाते हैं। आज के ब्लूमबर्ग में उनके बारे में एक रिपोर्ट आ गई है जिस पर शायद ही कोई मंत्री बोल पाएगा। उससे पहले कैरवा की यह रिपोर्ट भी आ गई है। मॉरीिशस में अडानी समूह का कथित रूप से कोई नेटवर्क सामने आया है। उम्मीद है आपने कारवा पत्रिका खरीद कर पढ़ ली होगी यह रिपोर्ट। ब्लूमबर्ग में दूसरी बार खबर आई है इस साल कि अडानी समूह अपना मामला रफादफा करवाने के लिए ट्रंप प्रशासन से संपर्क कर रहा है। पिछली बार फरवरी में रिपोर्ट आई कि अडानी समूह अमेरिका में अपना वर्चस्व बड़ा कर रहा है। इस बार ब्लूमबर्ग के टॉम शबर्ग, संजय पीआर और एवा बेनी मॉरीिसन ने रिपोर्ट किया है। सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि यह बातचीत इस साल के शुरुआत में आरंभ होती है और हाल के हफ्तों में इसमें काफी तेजी आई है। अगर इसी तरह बातचीत का सिलसिला जारी रहा तो एक महीने में इस मामले में कुछ सुलह हो सकती है। अमेरिका में अडानी के खिलाफ कथित रूप से विदेशी डील में रिश्वत देने का मामला चल रहा है। इस पर ट्रंप प्रशासन और अडानी समूह ने जवाब देने से Blobg को इंकार कर दिया। इतनी सी खबर आई कि अडानी समूह के शेयरों के दाम उछलने लग गए। हम पक्के तौर पर संबंध तो स्थापित नहीं कर सकते। लेकिन एक सवाल तो जरूर कौदता है कि देश कितना अलग-अलग चाहता है। शेयर बाजार में लोगों को अडानी समूह के सही गलत से कोई मतलब नहीं। बस चाहते होंगे कि केस बंद हो जाए और शेयरों के दाम में उछाल आ जाए। यही देश हिमांशी नरवाल के लिए कुछ और चाहता है। अडानी के लिए कुछ और चाहता है। हिमांशी ने चाहा कि नफरत ना फैले तो लोगों ने गालियां देनी शुरू कर दी। जिस हिमांशी का यह पोस्टर बनाकर उबाल पैदा किया गया। अब उसी हिमांशी पर इतना भद्दा हमला हो रहा है कि कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य को यह बनाना पड़ा। इसमें गिद्ध हिमांशी पर झपट्टा मार रहे हैं। लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की आंखों से आंसू बह रहे हैं। इस कार्टून में हिमांशी का चूड़ा भी है जो नई-नई शादी की निशानी है। आपको हमने पिछले वीडियो में बताया था कि भारत के पहले नौसेना अध्यक्ष की बेटी और 13वें नौसेना अध्यक्ष की पत्नी ललिता रामदास ने हिमांशी का हौसला बढ़ाने के लिए एक सार्वजनिक पत्र लिखा। लेकिन एक और संस्था है एन डब्ल्यूडब्ल्यूए नेवी वेलफेयर एंड वेलनेस एसोसिएशन नौसेना के अफसरों की पत्नियों के कल्याण के लिए यह संस्था बनी है। इसने कुछ क्यों नहीं बोला हिमांशी नरवाल के लिए? ये सारी चुप्पियां क्या कहती हैं? रक्षा मंत्री ने अभी तक हिमांशी के लिए कुछ क्यों नहीं कहा? यह जानने का प्रयास क्यों नहीं किया कि हिमांशी को मांगलिक से लेकर अशुभ पति को खा जाने वाला, मुस्लिम लड़कों से दोस्ती करने वाला, जेएनयू में पढ़ने वाली लड़की इस तरह की बातों से अपमानित करने वाले लोग कौन हैं? उन्होंने हिमांशी के लिए दो शब्द क्यों नहीं कहे? क्या हिमांशी उस देश में नहीं आती? जो देश चाहता है क्या जो देश चाहता है वह हिमांशी नहीं चाहती? 

हिमांशी नरवाल का मामला: राष्ट्रवाद, ट्रोलिंग और स्त्री-विरोधी सोच का टकराव

फिर एकता की बात करने वाली और नफरत ना करने वाली हिमांशी को गाली देने वालों के खिलाफ रक्षा मंत्री क्यों नहीं बोल पा रहे? उसकी चाहत को भी देश में कब शामिल किया जाएगा? सनातन संस्कृति जागरण कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोल रहे थे। दिल्ली के भारत मंडप में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। संयोग से हिमांशी को अशुभ से लेकर उनके चरित्र पर हमला करने वाले भी खुद को सनातन संस्कृति का दावेदार बताते हैं। उषा नाम की इस महिला के 43,000 से अधिक फॉलोअ हैं। इन्हें शाहनवाज हुसैन फॉलो करते हैं। तेजिंदर बगगा भी। इन्होंने हिमांशी की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा है, हम हिमांशी के लिए शोक मना रहे हैं। इनके पति विनय को इन पर गर्व होगा। आतंकियों ने उनके शरीर की हत्या की। मगर हिमांशी ने विनय की आत्मा की हत्या की है। इस ट्वीट के जवाब में उज्जवल नाम के हैंडल ने टिप्पणी की है। नाम के साथ लिखते हैं कि सिनेमा के लिए पैदा हुए। इसके नीचे अपना समर्थन प्रकट करते हुए सनातन धर्म, छत्रपति शिवाजी महाराज, स्वामी विवेकानंद और मोदी जी का नाम भी लिखते हैं। इस हैंडल पर लिखा है इन्हें पुख्ता यकीन है कि हिमांशी घटना में शामिल थी। वो जेएनयू की हैं और मुसलमानों को सपोर्ट करती हैं। मुझे हैरानी नहीं होगी कि विनय नरवाल की हत्या में उसी का हाथ है। इनके जवाब में उषा ने हां में हां मिलाते हुए लिखा है कि संभव है। ये एक और हैंडल है जिसे करीब 15,000 लोग फॉलो करते हैं। नाम है मोक्ष शॉपमैन। यूजरनेम में मिश्रा जी लिखा है। खुद को वास्तविक सनातन में यकीन करने वाला बताते हैं और कहते हैं राजनीतिक सनातन में यकीन नहीं रखते। बायो में सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है जैसी सुंदर बातें लिखते हैं। लेकिन हिमांशी के लिए जो लिखते हैं वो इसके ठीक उलट है। अपना पता जर्मनी का बताते हैं और लिखते हैं कि हिमांशी जेएनयू में कश्मीरी लड़कों के कमरे में जाती थी। एक और ट्वीट है प्रेम पांडे का जिनके बायो में महामृत्युंजय मंत्र लिखा है। अलग-अलग ट्वीट में इन्होंने हिमांशी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया है और लिखा है कि हिमांशी जेएनयू में कश्मीरी लड़कों के हॉस्टल में जाती थी। उसे उसके कर्मों का फल मिला है। प्रेम पांडे ने अपने ट्वीट में आज तक Zee न्यूज़ एबीपी न्यूज़ को भी टैग किया है। इन्होंने जो लिखा है हमें बताते हुए कतई अच्छा नहीं लग रहा लेकिन रिकॉर्ड पर लाना जरूरी है इसलिए बता रहा हूं ताकि सनातन के नाम पर राजनीति करने वाले इन समर्थकों का आपस में आपको कनेक्शन दिख जाए। आपको लगेगा इक्कादुक्का लोग हैं लेकिन ध्यान से देखिए तो एक बड़ा तंत्र नजर आता है जिससे सभी आपस में जुड़े हुए हैं। तो एक बड़ा तंत्र है जो हिमांशी के बारे में शर्मनाक बातें लिख रहा है। सनातन संस्कृति जागरण में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कहते हैं। देश जो चाहता है वो पूरा होगा। लेकिन खुद को सनातन का रक्षक या अनुचर बताने वाले ये लोग एक महिला के बारे में किस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं वो रक्षा मंत्री को अभी तक क्यों नहीं नजर आ रहा है? रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कुछ भी नहीं कहा। कम से कम यही बता दें कि सनातन की किस संस्कृति का जागरण करना है। जिस कार्यक्रम में वह गए थे जहां कोर्ट की अवमानना करने के मामले में फटकार खा चुके रामदेव थे या उस सनातन का जागरण करना है जिसका नाम लेकर लोग एक्स पर हिमांशी नरवाल को अनापश-शनाप लिख रहे हैं। रामदेव का भी आत्मविश्वास गजब का है। दो दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट से इतनी सख्त फटकार मिली लेकिन उसके बाद भी उनका जीवन सामान्य है। रक्षा मंत्री से भी मिलते हैं और तरह-तरह के सनातन संस्कृति के रक्षकों के बीच नजर आते हैं। 

अडानी पर रिपोर्ट और सत्ता की चुप्पी: ‘देश’ की प्राथमिकताएं कौन तय करता है?

यहां बैठे सनातन संस्कृति के रक्षकों में से भी किसी एक ने भी एक स्त्री पर हो रहे इस तरह के हमले का विरोध किया है। आप पता कीजिए। यह विरोध नहीं कर सकते क्योंकि इन्हीं के जैसे समर्थकों के दम पर आज की यह राजनीति टिकी है। जब Twitter पर कई लोगों ने लिखा, महिला पत्रकारों ने लिखा तब जाकर राष्ट्रीय महिला आयोग की तरफ से बयान आया। लेकिन तब भी सनातन संस्कृति के ये रक्षक अपना ट्वीट नहीं हटा रहे। अपने विचारों के लिए खेद प्रकट नहीं करते हैं। इस हैंडल के स्वामी खुद को विंग कमांडर पुष् विजय द्विवेदी बताते हैं। वायुसेना के कई पदों पर रह चुके हैं। ऐसा लिखा गया है और रिटायर बताते हैं। इनकी प्रोफाइल में जो तस्वीर है उसे भी देखिए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठे नजर आ रहे हैं। इन्होंने हिमांशी के बारे में जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, उसे पढ़कर सुनाया नहीं जा रहा। इनके ट्वीट को 13,000 से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। क्या रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद को कल्कि सेना का चीफ बताने वाले और नौसेना के पूर्व अफसर को इस भाषा के लिए कुछ भी कहेंगे, कह भी सकते हैं। पाकिस्तान पर हमला करना कहीं ज्यादा आसान है। लेकिन ऐसी बातें कहने वालों की निंदा करना बहुत मुश्किल। क्या इसलिए कि ये अपने लोगों की कैटेगरी में आते हैं। ऑल्ट न्यूज़ के जुबैर ने विंग कमांडर पुष् विजय द्विवेदी के इस ट्वीट को रेखांकित किया है। क्या रक्षा मंत्रालय सेना के इन पूर्व अधिकारियों को कुछ भी नहीं कह सकता। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोहित्रा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता को टैग कर लिखा है। सरकार की अपनी नाकामी और सुरक्षा में कमी के कारण एक नौसैनिक अफसर की हत्या हुई और उसकी युवा विधवा को गालियां दी जा रही हैं। उसका चरित्र हनन किया जा रहा है। क्या आप केवल तमाशा देख रहे हैं? कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने भी लिखा है कि पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी को अब नफरती तत्वों द्वारा शांति मानवता की बात करने मात्र से निशाना बनाया जा रहा है। आतंकियों ने उनका सुहाग छीन लिया और यह नफरती शहीद परिवार की गरिमा छीन लेना चाहते हैं। अश्विनी वैष्णव जी कृपया एक्शन लें। दीपेंद्र हुड्डा कहते हैं हिमांशी नरवाल को जो गालियां दी जा रही हैं उसका केवल राजनीतिक संदर्भ नहीं है। सामाजिक और पारिवारिक भी है। ज्यादातर भारतीय लड़कियों को शादी से पहले इसी तरह की बातों से गुजरना पड़ता है। उसके भाग्य को लेकर दोष दिया जाता है। ग्रह नक्षत्रों को लेकर दोष दिया जाता है। मांगलिक होने को लेकर तमाम तरह के भय पैदा किए जाते हैं। एक लड़की को शादी के नाम पर अपमान करने का या सामाजिक हथियार पारिवारिक हथियार राजनीतिक तौर पर प्रयोग हो रहा है। इसे आपको समझना चाहिए। तो यह केवल हिमांशी के लिए नहीं कहा जा रहा। उन सभी लड़कियों के लिए कहा जा रहा है जिन्हें शादी के वक्त ऐसे तानों से गुजरना पड़ता है और जिन्हें शादी के समय आज भी गुजरना पड़ रहा है। ऐसी सभी लड़कियों को यह लोग धमका रहे हैं कि आपके बोलने की स्थिति में हम ऐसी हालत कर देंगे। इसलिए केवल हिमांशी अपमानित नहीं हो रही। वो सभी स्त्रियां हो रही हैं जो किसी संस्कृति के नाम पर या पूजे जाने के नाम पर संस्कृति ही संस्कृति करती रहती हैं। उनका भी अपमान किया जा रहा है। इसलिए भी इन बातों का विरोध कीजिए। सरकार की तरफ से चुप्पी साध ली गई है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने चुप्पी तोड़ी है। अपने बयान में राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में देश के अनेक नागरिकों की हत्या कर दी गई थी। इस हमले में अन्य लोगों के साथ लेफ्टिनेंट विनय नरवाल जी से उनका धर्म पूछकर उन्हें गोली मार दी गई। इस आतंकी हमले से पूरा देश आहत व क्रोधित है। लेफ्टिनेंट विनय नरवाल जी की मृत्यु के पश्चात उनकी पत्नी सुश्री हिमांशी नरवालजी को उनके एक बयान के संदर्भ में सोशल मीडिया पर जिस प्रकार से निशाना बनाया जा रहा है, वह अत्यंत निंदनीय एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी महिला की वैचारिक अभिव्यक्ति या निजी जीवन को आधार बनाकर उसे ट्रोल करना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। किसी भी प्रकार की सहमति या असहमति को सदैव शालीनता और संवैधानिक मर्यादाओं के भीतर व्यक्त किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय महिला आयोग प्रत्येक महिला की गरिमा और सम्मान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

सनातन संस्कृति बनाम स्त्री सम्मान: किस संस्कृति का जागरण?

 राष्ट्रीय महिला आयोग के इस बयान के बाद भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को बोलने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। सेना का परिवार देश का परिवार होता है। रक्षा मंत्री उसके अभिभावक होते हैं। वे उन लोगों को कुछ कहते क्यों नहीं? शायद इसलिए नहीं कहते होंगे कि हिमांशी को अपमानित करने वालों के दम पर ही आज की राजनीति की बुनियाद टिकी है। वरना यह ऐसी बात नहीं थी जिसकी निंदा प्रधानमंत्री से लेकर रक्षा मंत्री नहीं कर सकते थे। हिमांशी ने क्या कहा था यही ना कि मैं नहीं चाहती हूं कि किसी के खिलाफ नफरत फैले। लोग मुसलमानों और कश्मीरियों के खिलाफ बोल रहे हैं। हम ऐसा नहीं चाहते। हम इंसाफ चाहते हैं। जिन लोगों ने गलत किया है उन्हें सजा मिलनी चाहिए। इस बयान में ऐसा क्या है कि हिमांशी को सनातन के रक्षक अनापशनाब बोल रहे हैं। क्या नफरत का विरोध कर हिमांशी एकता की बात नहीं कर रही? ये कैसी एकता है जो नफरत का विरोध नहीं करना चाहती? शहीद के नाम पर भावुकता पैदा करने वाले यही लोग हैं और आज यही लोग शहीद की पत्नी के बारे में ऐसीऐसी बातें लिख रहे हैं। जिन्हें पढ़ना और देखना अत्यंत कष्टकारी है। यहां तक कि उसे ट्रोल करने वाले हिमांशी नरवाल नहीं लिख रहे। उसकी शादी से पहले का नाम लिख रहे हैं हिमांशी स्वामी। क्या इस सोच को ऐसी सोच वाले समाज को घटिया नहीं कहा जाना चाहिए? क्या ऐसी सोच की रक्षा करनी चाहिए? क्या रक्षा मंत्री को लगा कि हिमांशी नरवाल उनसे क्या कहना चाहती होंगी? बस इतना ही चाहती होंगी कि संकट के वक्त में राजनाथ सिंह उनके लिए बोले। जो लोग जो लगातार हिमांशी नरवाल को ट्रोल कर रहे हैं वह अपनी नफरती और क्रूर मानसिकता देश के सामने एक्सपोज कर रहे हैं। अपने पति को पहलगाम आतंकी हमले में खोने के बावजूद हिमांशी ने बहुत ही बहादुरी से सांप्रदायिक नफरत को ठुकराया है और हिंदू मुस्लिम एकता की अपील की है। इस स्थिति में हम सबको हिमांशी की प्रशंसा करनी चाहिए। हिमांशी हमारे लिए एक मिसाल है। लेकिन बीजेपी का जो आईटी सेल है यह आईटी सेल लगातार नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं और हिमांशी को अपनी नफरती मानसिकता का शिकार बना बना रहे हैं। बीजेपी आईटी सेल नफरत छोड़ो देश जोड़ो। इस तरह की नफरती मानसिकता मत फैलाओ। देश को जोड़ो। कितना आसान होता है झुंड बनकर एक स्त्री पर हमला करना। क्या मोदी सरकार के लिए इतना मुश्किल है हिमांशी के लिए खड़े होना। जो लोग हिमांशी को गालियां दे रहे हैं उनमें से कईयों की Twitter पर असली पहचान तक नहीं। वो उसे कुछ भी बोलकर अपने जीवन में चले जाएंगे। पता भी नहीं चलेगा कि किसी सैनिक अफसर की पत्नी को गाली देने वाले कौन थे। उनके खिलाफ सरकार कोई कारवाई भी नहीं करेगी। लेकिन इन बातों का हिमांशी के जीवन पर कितना असर होगा? सब कुछ आपकी आंखों के सामने हो रहा है। जब भी किसी घटना के बहाने झुंड बनकर लोग आते हैं, उनका उस घटना से कोई लेना देना नहीं होता। अपने नेता के लिए अवसर बनाने आ जाते हैं। अपनी सत्ता को मजबूत करने से उनका मतलब होता है। हिमांशी को अपशकून से लेकर पति को खा जाने वाली कहने वालों के खिलाफ कार्रवाई तो छोड़िए। किसी ने ठीक से निंदा भी नहीं की। दूसरी तरफ गाना गा देने पर नेहा सिंह राठौर के खिलाफ एफआईआर हो गई। देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। एक महिला की गरिमा और उसकी शालीनता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और बीजेपी के किसी नेता की तरफ से राजनाथ सिंह जो रक्षा मंत्री हैं उनकी तरफ से प्रतिकार नहीं किया जा रहा। एक बार प्रधानमंत्री मोदी ने बिना नाम लिए इशारे में सोनिया गांधी को कांग्रेस की विधवा कह दिया था। आरोप लगाया था कि उनके खाते में पैसे आते हैं। पहलगाम की घटना के बाद तमाम चैनलों पर पाकिस्तान की तरफ से वक्ता बुलाए जाने लगे। इन चैनलों पर पाकिस्तान का मत प्रसारित करने दिया गया। TRP बटोरी गई। कितने लोगों ने बोला, लिखा 10 दिन से ज्यादा गुजर गए। तब जाकर एनबीडीए ने अपने नोटिस में लिखा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हमारा ध्यान हमारा ध्यान इस ओर आकर्षित किया है 

राजनीति, सेना और सोशल मीडिया का नया तंत्र: नफरत का नेटवर्क

कि न्यूज़ चैनल अपने प्रोग्रामों में ऐसे भारत विरोधी विश्लेषकों को बुला रहे हैं जो भारत के खिलाफ झूठा प्रोपेगेंडा चला रहे हैं। एनबीए के संपादकों को सलाह दी जाती है कि वे पाकिस्तान से ऐसे पैनलिस्ट, स्पीकर और कमेंटेटर ना बुलाएं जो भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा को कमजोर करने वाले विचारों का समर्थन करते हैं और भारत के खिलाफ बयान देते हैं। संपादकों से आग्रह किया जाता है कि वे इसे लेकर उच्च स्तरीय संपादकीय विवेक का इस्तेमाल करें और सुनिश्चित करें कि उनके चैनल और डिजिटल प्लेटफार्म का भारत विरोधी प्रोपेगेंडा के लिए इस्तेमाल ना हो। अब आप एक अंतर देखिए। 4 पी.m. चैनल पर सवाल पूछे जा रहे थे। उसे सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर बैन कर दिया गया। नेहा सिंह राठौर ने अपने गानों में सवाल किया तो उन पर एफआईआर कर दी गई। लेकिन जिन चैनलों पर भारत को अपमानित करने वाले लोग बुलाए गए।इस निर्देश एनबीए के निर्देश के मुताबिक भारत विरोधी बातें कहने वाले लोग बुलाए गए। इसके लिए पाकिस्तानी वक्ताओं को बुलाया गया कि वो कहते रहें। उन्हें किसी ने बैन नहीं किया। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। ना एफआईआर हुई। उन्हें सिर्फ सलाह दी गई कि उच्च स्तरीय संपादकीय विवेक का इस्तेमाल करें। तो अंतर देखिए 4:00 पीएम के लिए और नेहा सिंह राठौर के लिए अलग कायदा है और तमाम गोदी चैनलों के लिए अलग कायदा है। उन्हें सरकार ने सीधे-सीधे निर्देश जारी नहीं किया। अगर सरकार सीधे तौर पर आदेश देती तो क्या होता? गोदी चैनलों को कैसे सरकार सीधे निर्देश जारी कर दंडित करती। आप भी सोचिए कौन-कौन शर्मिंदा होता इस रास्ते? तो सरकार का निर्देश गया एनबीए को और वहां से निर्देश गया अपने कार्यक्रम में पाकिस्तानी वक्ताओं को ना बुलाएं। तो पाकिस्तानी वक्ता आकर कुछ भी कह रहे हैं लेकिन हिमांशी ने सिर्फ इतना कह दिया नफरत की बात मत कीजिए जिन्होंने गलत किया है उन्हें सजा दीजिए उनके बारे में कितना कुछ कहा गया। आज सुप्रीम कोर्ट में 4 पीएम को लेकर सुनवाई थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के सामने मामला पेश हुआ। 4 पीएम के संजय शर्मा की तरफ से कपिल सिब्बल ने अदालत से बैन के खिलाफ सुनवाई की मांग की। कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। पहले दो हफ्ते का समय दिया गया लेकिन बाद में इसे एक हफ्ते का समय कर दिया गया। हमने आपको पहले के वीडियो में बताया था कि केरला के मीडिया वन मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि जब आप राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर बैन करते हैं तो क्यों बैन करते हैं? इसे कोर्ट में साबित करना होगा। तब कोर्ट ने अंतिम फैसला आने से पहले बैन पर स्टे भी लगा दिया और अंतिम फैसला मीडिया वन चैनल के हक में भी आया। तो देश के भीतर कितना देश दिखता है? देश कितना कुछ चाहता है? दिल्ली में सनातन संस्कृति जागरण के कार्यक्रम में लोग इतने भर से जोश में आ गए। जब राजनाथ सिंह जी ने कह दिया कि देश जो चाहता है, मैं आश्वासन देता हूं पूरा होगा। लेकिन सूखे कुएं के किनारे खड़ा यह नागरिक भी तो इसी देश का है। क्या वो नहीं चाहता होगा कि उसके कुएं में पानी आ जाए। क्या देश की इस इच्छा को राजनाथ सिंह पूरी कर सकते हैं? महाराष्ट्र के परभनी में कितने कुएं सूखे मिल जाएंगे। इसी समय में जब देश सिंधु नदी का पानी रोक सकने की क्षमता प्रदर्शन कर रहा है। लोग सीना चौड़ा कर रहे हैं। उसी समय इसी देश में कुएं का पानी भी सूख चुका है। जो बचा है वह पीने लायक नजर नहीं आता। इन इलाकों में पानी के संकट पर बोलने वाला देश टीवी में कभी नहीं बुलाया जाता है। दरअसल देश वह नहीं होता जो होता है। वह होता है जिसे बनाया जाता है जिसे बनाकर आपको दिखाया जाता है। टीवी चैनलों पर चार लोगों को बिठाया जाता है देश की तरफ से बोलने के लिए, ललकारने के लिए। बड़े से हॉल में हजारों लोग बुलाए जाते हैं देश बनकर तालियां बजाने के लिए। और जो वास्तव में देश होता है वो अकेला किसी सुनसान में पानी के लिए कुएं में झांक रहा होता है। 15,000 कमाने के लिए हर दिन 121 घंटे की मेहनत कर रहा होता है। 


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