आतंकी हमला या राजनीतिक अवसर? – पहलगाम के बहाने संविधान पर वार

आतंकी हमला या राजनीतिक अवसर? – पहलगाम के बहाने संविधान पर वार

देश पर आतंकवादी हमला पाकिस्तान से हुआ है। पहलगाम के साथ-साथ पूरा देश दहल उठा। एक आक्रोश है कि किस तरीके से पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए। यह पाया जाए कि कैसे वो इनवॉल्वड हैं और उसको लेकर के क्या कारवाई की जाए। लेकिन इस सब के बीच में अगर एक आतंकवादी घटना जो पाकिस्तान ने उसको रचा है। अब लश्कर तइबा की एक ऑफशूट उसने जिम्मेदारी ली है द रेजिस्टेंस फ्रंट। पाकिस्तान आर्मी के चीफ उसके लिए जिम्मेदार हैं। लेकिन अगर इस प्रकरण को इस्तेमाल करके हिंदुस्तान के मुसलमानों से नफरत करना शुरू कर दिया जाए और उनको दोषी ठहराना शुरू कर दिया जाए और फिर संविधान बदलने की बात करने लगे। यह याद दिलाने लगे कि उन आतंकवादियों ने जाति नहीं मजहब पूछा था। क्या यह सारी चीजें एक आतंकवादी घटना को राजनीतिक मोड़ देने का प्रयास नहीं है? और सबसे बड़ी बात संविधान बदलने का प्रयास तो नहीं है। यह हम क्यों कह रहे हैं? क्योंकि एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन से छिटके। सुप्रीम कोर्ट से ताना सुने। अपनी भारतीय जनता पार्टी से अलग छिटका दिए गए। सुप्रीम कोर्ट पर एक टिप्पणी करने वाले यह कहने वाले कि गृह युद्ध होगा तो उसके लिए पूरी तरीके से चीफ जस्टिस ऑफ इंडियन इनवॉल्वड हैं। यह सारे कारनामे करने वाले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे एक बार फिर से चर्चा में हैं। क्योंकि पहलगाम की घटना के बाद उनका यह कहना है कि संविधान बदल देना चाहिए। और संविधान के कौन से प्रावधान? आर्टिकल 26 और 29। क्या कहते हैं यह आर्टिकल आपको बताएगा । तो सबसे पहले मैं आपको बता दूं कि ये विभत्स घटना बहुत ही दर्दनाक घटना है जिसको लेकर के देश में आक्रोश है। देश गुस्से में है। अब देश सवाल पूछ रहा है सिक्योरिटी एजेंसी से भी देश सवाल पूछ रहा है पाकिस्तान से भी और देश ये भी जानना चाहता है कि जब नरेंद्र मोदी जिन्होंने अपनी मीटिंग कट शॉर्ट कर दी। सऊदी अरब से वापस आ गए। होम मिनिस्टर कश्मीर में हैं। तो अब आगे हमारी कारवाई क्या होगी? हम किस तरीके से सुनिश्चित करेंगे कि पिछले कई सालों में जो जम्मू कश्मीर अचीव कर पाया वो रिवर्स ना हो जाए। यह सारी चीजें अभी चर्चा का विषय है। लेकिन इसी के बीच में एक नफरती इकोसिस्टम तैयार हो गया, एक्टिव हो गया और इस घटना के एकदम बाद से एक्टिव है और उसमें सिर्फ ट्रोल्स नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के ऑफिशियल सांसद और भारतीय जनता पार्टी के ऑफिशियल Twitter हैंडल्स भी उसी तरीके की बातें कर रहे हैं। तो आइए अब बात करते हैं सबसे पहले निशिकांत दुबे की। जैसे कि हमने आपको बताया इनका एक इतिहास हो गया है कंट्रोवर्सी का। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर यह सिविल वॉर कराने का आरोप लगा देते हैं। फिर जेपी नड्डा साहब को यह बोलना पड़ता है कि यह हमारे विचार नहीं है। पर यह भी एक गजब का एक्सपेरिमेंट है। गुड कॉप बैड कॉप। मैं नहीं मानता लेकिन फिर मैं कारवाई भी नहीं करूंगा। 



निशिकांत दुबे का बयान: आतंकवाद के जवाब में अल्पसंख्यकों पर निशाना?

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने इनसे अपने आप को अलग कर लिया है। फटकार पड़ रही है इनको सब तरफ से। वही निशिकांत दुबे ने फिर ट्वीट किया। ये देखिए पहलगाम पर वो क्या लिखते हैं। उनके ट्वीट के बहुत हिस्से तक तो पूरा देश सहमत रहेगा। किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। वो क्या लिखते हैं और कुछ लोगों को होगी भी। वो लिखते हैं देश का बंटवारा जब हिंदू मुस्लिम के नाम पर हो गया। केवल वोट बैंक के लिए अल्पसंख्यक के नाम पर मुसलमानों को ज्यादा अधिकार देकर हिंदुओं को दर्जे का नागरिक बनाने वालों को आज पहलगाम की घटना पर बताना चाहिए कि आज की हत्या धर्म के आधार पर की गई या नहीं। सबसे पहली बात निशिकांत दुबे जी यहां पर रोक करके आपको यह बता दें कि आप कह रहे हैं कि देश का बंटवारा हिंदू मुसलमान के नाम पर हो गया लेकिन वोट बैंक के लिए अल्पसंख्यक के नाम पर मुसलमानों को ज्यादा अधिकार देकर हिंदुओं को द्वयम दर्जे मुसलमानों को कौन सा ज्यादा अधिकार है मैं नहीं जानता हूं। शायद संभवत आप वफ कानून की बात कर रहे थे जो आपकी सरकार ने वो कानून ले ही आए हो। ट्रिपल तलाक आप कह रहे थे वो भी आप ले ही आए। यूसीसी पर भी सुपर एक्टिव हैं। तो एक तो यह बात हो गई। दूसरी चीज यह घटना पाकिस्तान ने रची। सिक्योरिटी एजेंसीज ने अपनी शुरुआती जांच में यह पाया है कि वो पाकिस्तान से बॉर्डर पार करके आए थे। हिंदुस्तान के मुसलमान इस आतंकवादी घटना के पीछे नहीं हैं। अब तक की जांच में नहीं है। लोकल हैंडलर्स हो सकते हैं लेकिन उसकी पुष्टि अब तक नहीं हुई है। फैक्ट्स पर बात करना चाहिए। निशिकांत दुबे जी उड़ीउडी बात पर नहीं। तो ये कंक्लूड करना आपके स्टेटमेंट से ऐसे लगता है कि ये घटना हिंदुस्तान के मुसलमानों ने कराई है पहलगाम में। यह पहली गलती है। आगे आप लिखते हैं, लानत है सेकुलरवादी नेताओं पर आर या पार पाकिस्तान कब्जे का कश्मीर हमारा होगा। धैर्य रखिए। यह मोदी की सरकार है जिसके गृह मंत्री अमित शाह जी हैं। अब यहां तक तो फिर भी थोड़ी बहुत बात अनबन हो सकती है। लेकिन मोटी-मोटी बात यह जरूर है कि पाकिस्तान के कब्जे का कश्मीर हमारा होगा। हमारा है इट इज एन ऑक्यूपाइड टेरिटरी लेकिन वो हिंदुस्तान की जमीन है। यह आज से नहीं हमेशा से हमारा उस पर दावा है। हमारे एब्सोल्यूट कंट्रोल में नहीं है क्योंकि वो ऑक्युपाइड कश्मीर है। तो आप ये कहते हैं कि उसको हमें ऑक्यूुपाई करना है। बिल्कुल क्योंकि वो हमारी हमारी ही जमीन है। वहां के लोग भी हमारे ही हैं। तो ये तो बात सही है। लेकिन अब जो निशिकांत दुबे बोल गए वो साक्षात राजनीति नहीं है तो और क्या है? वो कहते हैं संविधान का आर्टिकल 26 और 29 तक खत्म करने का समय है। आर्टिकल बदलना चाहते हैं। पहलगाम की घटने का घटना का हिंदुस्तान के संविधान से क्या लेना देना निशिकांत दुबे जी? ये आतंकवादी हैं। आतंकवादी संगठन थे।

संविधान के अनुच्छेद 26 और 29 पर हमला: धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर खतरा

 इंटेलिजेंस एजेंसी से सवाल पूछते आप तो समझ में आता कि तर्कसंगत बात हुई है। लेकिन आप चाहते हैं कि पाकिस्तान ने जो किया है उसके लिए हिंदुस्तान का संविधान 26 और 29 बदल दिया जाए। और ये है क्या? जब आप उसको पढ़ेंगे तो आपको समझ में आ जाएगा कि ये तो बिल्कुल नफरती बात बोली है निशिकांत दुबे जी ने। आर्टिकल 26 ऑफ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन गारंटीस द फ्रीडम टू मैनेज रिलीजियस अफेयर्स स्पेसिफिकली ग्रांटिंग एव्री रिलीजियस डिनॉमिनेशन द राइट टू एस्टैब्लिश मेंटेन एंड एडमिनिस्टर इंस्टीटशंस फॉर रिलीजियस एंड चैरिटेबल पर्पस। दिस राइट आल्सो इंक्लूड्स द एबिलिटी टू मैनेज देयर ओन अफेयर्स इन मैटर्स ऑफ़ रिलीजन ओन एंड एक्वायर प्रॉपर्टी एंड एडमिनिस्टर इन अकॉर्डिंग टू लॉ ऑल सब्जेक्ट टू पब्लिक ऑर्डर मोरालिटी एंड हेल्थ। यानी कि इस देश में रिलीजियस अफेयर्स गारंटी किया गया है। यानी कि आप कोई भी धर्म मानने का आपको अधिकार इस देश में हो। निशिकांत दुबे जी यह कह रहे हैं कि राइट टू एस्टैब्लिश एंड मेंटेन रिलीजियस इंस्टीटशंस यह हक छीन लिया जाए। सारे माइनॉरिटीज से छीन लिया जाए। सबसे छीन लिया जाए। क्यों? क्योंकि पाकिस्तान ने पहलगाम पर हमला कर दिया। आर्टिकल 26 कहता है राइट टू मैनेज रिलीजियस अफेयर्स। तो कोई ऑटोनोमी ना मिले रिलीजियस अफेयर्स की। कोई अपना धर्म का पालन ना कर पाए क्योंकि पाकिस्तान ने पहलगाम पर हमला कर दिया है। राइट टू ओन एंड एक्वायर प्रॉपर्टी। इस देश में कोई भी रिलीजियस डिनॉमिनेशन मतलब कोई भी इंसान चाहे वो हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई हो उसको कोई भी प्रॉपर्टी एक्वायर करने से या अपनी अपने अपने धर्म को पालन करने से रोक देना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान ने पहलगाम पर हमला कर दिया है। वहां निशिकांत दुबे जी कहां से लाते हैं इतना लॉजिक? राइट टू एडमिनिस्टर प्रॉपर्टी। वह भी इसलिए नहीं हो सकता क्योंकि पाकिस्तान ने पहलगाम पर हमला कर दिया है। तो निशुकांत दुबे चाहते हैं यह सब ना हो। लिमिटेशंस इसके ये हैं। द फ्रीडम इज सब्जेक्ट टू पब्लिक ऑर्डर मोरालिटी एंड हेल्थ। हमारा संविधान बहुत मेहनत से लिखा गया था। बहुत सोच समझ करके बहुत चर्चा करके लिखा गया था। इसमें एक शब्द इधर से उधर नहीं है। और जब इस तरीके की बात बोलते हैं तो यह सिर्फ नफरत नफरती एजेंडा नहीं तो और क्या है? इसके अलावा अब आपको यह बताते हैं कि एक और आर्टिकल 29 है संविधान का जो स्पेसिफिकली माइनॉरिटीज की बात करता है मुसलमानों की नहीं। लेकिन अपनी नफरत में कहीं निशिकांत दुबे जी चार हाथ आगे तो नहीं चले गए। वो कहते हैं 29 को भी खत्म करने का समय आ गया है। क्यों? क्योंकि पाकिस्तान ने पहलगाम पर हमला कर दिया है। आर्टिकल 29 ऑफ़ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन प्रोटेक्ट्स द इंटरेस्ट ऑफ़ माइनॉरिटीज़ बाय गारंटिंग देम देयर राइट टू कंजर्व देयर यूनिक लैंग्वेज स्क्रिप्ट कल्चर।

जाति नहीं, धर्म पूछा' नैरेटिव: आतंक का सांप्रदायिकरण और उसका मकसद

 मतलब इस देश की माइनॉरिटीज जिसमें जैन, बौद्ध, मुसलमान यानी कि इस्लाम का जो पालन करते हैं जोरास्ट्रियंस और भी जो जो लोग हैं जो जो अपना-अपना धर्म का पालन करते हैं। निशिकांत दुबे जी के हिसाब से उनको कोई हक नहीं होना चाहिए हिंदुस्तान में अपनी भाषा, अपनी लिपि और अपनी संस्कृति को बचा करके रखने का। और तर्क क्योंकि पाकिस्तान ने पहलगाम पर हमला कर दिया है। इस वजह से इस देश के सारे अल्पसंख्यक अपनी सारी राइट्स खो दें। निशिकांत दुबे जी के हिसाब से कहां से लाते हैं इतना लॉजिक? इतनी साइंस कहां से ला रहे हैं दुबे जी? अब आपको बताते हैं इसमें प्रोविज़ंस क्या हैं? आर्टिकल 29 के। राइट टू कंजर्व। वो हमने आपको बता दिया। नॉन डिस्क्रिमिनेशन इन एजुकेशन। नो सिटीजन कैन बी डिनाइड एडमिशन टू स्टेट मेंटेंड एंड एडेड एजुकेशनेशनल इंस्टीटशंस बेस्ड ऑन रिलीजन रेस, कास्ट एंड लैंग्वेज। मतलब निशिकांत दुबे जी ये चाहते हैं कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव हो। एजुकेशनल इंस्टीटशंस में धर्म के आधार पर, जाति के आधार पर रेस, कास्ट, लैंग्वेज जिसके आधार पर उनके साथ भेदभाव होने लगे। क्यों? क्यों? क्योंकि पाकिस्तान ने पहलगाम पर हमला कर दिया है। इस वजह से अल्पसंख्यक की ये सारी पावर्स खत्म हो जाए। स्कोप ऑफ प्रोटेक्शन दी आर्टिकल सेफगार्ड्स द कल्चरल एंड एजुकेशनल राइट्स ऑफ़ माइनॉरिटी ग्रुप्स इन इंडिया। ये चाहते हैं खत्म हो जाए। कोई प्रोटेक्शन ना मिले अल्पसंख्यक को। मुसलमानों को ना मिले, क्रिश्चियंस को ना मिले, बौद्ध को ना मिले, जैन को ना मिले। और कितनी बार रिपीट करूं? पाकिस्तान ने पहलगाम पर हमला किया है। इस वजह से यह सारी चीजें चाहते हैं निशिकांत दुबे। सिग्निफिकेंस क्यों है आर्टिकल 2019 का? मैंने जैसे आपको बताया इस देश का संविधान जब लिखा गया था तो बहुत सोच समझ करके बुद्धिजीवियों ने प्रबुद्ध वर्ग ने बैठकर के यह संविधान बनाया था। Twitter नहीं था उस जमाने में जहां पर लोग जो मर्जी आए वो लिख देते थे। तमीज से बात होती थी। की इस वजह से इस तरीके का ठोस संविधान बना है। प्रोटेक्शन ऑफ डायवर्सिटी ये एक फैक्ट था जब संविधान बना था। इट रेग्नाइजज़ एंड प्रोटेक्ट्स द डायवर्सिटी ऑफ़ लैंग्वेज स्क्रिप्ट्स एंड कल्चरर्स विद इन इंडिया। इक्वलिटी इन एजुकेशन। इट एनश्योरस इक्वल एक्सेस टू एजुकेशन फॉर ऑल सिटीजंस। कल्चरल प्रिजर्वेशन। इट एंपावर्स माइनॉरिटी ग्रुप्स टू प्रिजर्व एंड प्रमोट देयर कल्चरल हेरिटेज। आप चाहते हैं कि कोई अपना कल्चरल हेरिटेज प्रिजर्व ना करें। 

राजनीति बनाम सुरक्षा: क्या असली मुद्दों से भटका रही है नफरती राजनीति?



क्यों? क्योंकि पाकिस्तान ने पहलगाम पर हमला कर दिया है। जो सवाल पूछने चाहिए उन सवालों को छोड़ के जब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे इस तरीके की नफरती बात करते हैं तो इससे निष्कर्ष क्या निकाला जाए? दोस्तों इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी के छत्तीसगढ़ इकाई का Twitter हैंडल आप देखिए। एक टेरर अटैक जैसी चीज को बहुत ही भद्दे रूप में घिबली आर्ट में कन्वर्ट करके लिखा जाता है जाति नहीं पूछी धर्म पूछा पूछा और उनका इशारा यह है जैसे आज अखबार में आया है कि कुछ लोगों का वक्तव्य यह है कि इन आतंकवादियों ने रोक करके यह पूछना चाहा कि आप कौन से धर्म के हैं कुछ ऐसे भी बयान है कि निर्वस्त्र किया और उसके बाद यह पता लगाने की कोशिश की कि कौन से धर्म के हैं झूठ तो नहीं बोल रहे हैं और उसके बाद गोली मारी बहुत ही खराब और भयाव स्थिति जिस तरीके से यह हुआ। लेकिन इसको जाति से जोड़ देना संभवत राजनीति के लिए। क्यों? क्योंकि विपक्ष कास्ट सेंसेस की बात करता है। कास्ट पॉलिटिक्स और कास्ट आइडेंटिटी की बात अलग-अलग ग्रुप्स करते हैं। बीजेपी खुद करती है कि हमारी कैबिनेट में ओबीसी ज्यादा हैं। और अब सडनली आपको एकदम से यह हुआ कि जाति नहीं पूछी। धर्म पूछा तो धर्म के आधार पर हुआ है। यानी कि वहां पर भी एक पॉलिटिकल पॉइंट स्कोर करने का प्रयास घिबली आर्ट बना करके किसी की ट्रेजडी पर गिबली आर्ट बनाया बीजेपी छत्तीसगढ़ इकाई ने। ये इस तरीके की राजनीति कहां तक सही है? क्या यह नफरती नहीं है? और कम से कम एक आतंकवादी घटना को तो हमें राजनीति और गंदी राजनीति से दूर नहीं रखना चाहिए। यह बात बीजेपी, छत्तीसगढ़ इकाई तमाम Twitter ट्रोल्स जो एक इकोसिस्टम विशेष के लिए अह बात आगे बढ़ाते हैं और बीजेपी के सांसद जो अब संविधान ही बदल देना चाहते हैं। 2024 में इस तरीके से संविधान बदलने की बात हुई थी और हम और आप सब जानते हैं कि उसका परिणाम चुनाव में बीजेपी को क्या हुआ? निशिकांत दुबे फिर संविधान बदलना चाहते हैं क्योंकि उनको लगता है इस देश में अल्पसंख्यकों को कोई हक नहीं होना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान ने पहलगाम पर हमला कर दिया है। आप क्या सोचते हैं? कमेंट सेक्शन में जरूर लिखिएगा। इशारोंशारों में बस इतना ही। फिर मिलेंगे किसी और मुद्दे के साथ। 


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