लोकतंत्र और भाषाई मर्यादा: आलोचना बनाम अपमान
हमारा देश एक अलग दौर से गुजर रहा है और लोकतंत्र है लोकतंत्र में भाषाई मर्यादा के अंदर आलोचना करी जा सकती है लेकिन अगर भाषाई मर्यादा को लांग दिया जाए तो क्या वो लोकतंत्र का दुरुपयोग नहीं होगा हम बात कर रहे हैं बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की निशिकांत दुबे साहब पिछले कुछ दिनों से बहुत चर्चा में हैं निशिकांत दुबे साहब झारखंड के गोडा से सांसद हैं और लगातार जीतते हुए आ रहे हैं और यह भी बता दें कि निशिकांत दुबे साहब कोई ऐसे सांसद नहीं है जो मतलब हल्कीफुल्की हैसियत रखते हैं निशिकांत दुबे साहब की अच्छी खासी हैसियत है पार्टी में उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल उनके एक्स अकाउंट में उनकी तस्वीर प्रधानमंत्री मोदी के साथ है अब प्रधानमंत्री मोदी के साथ तस्वीर है और उसके नीचे उन्होंने एक कमेंट किया उन्होंने पहले तो सुप्रीम कोर्ट को लेकर के जो तमाम कमेंट किए हैं तो आपको पता ही है इस पर हमने वीडियो भी किया उन्होंने कहा कि अगर देश के देश की सुप्रीम कोर्ट कानून बनाएगी तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए अह उन्होंने लिखा कि संसद इस देश का कानून बनाती है क्या वह संसद को निर्देश देंगे देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार है वहीं धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है वफ कानून में जो अभी हाल ही में निर्णय दिया उसको लेकर के उन्होंने कहा अच्छा दुबे साहब को शायद सुप्रीम कोर्ट पर की गई टिप्पणियों पर थोड़ा सा उन्हें चर्चा मिली अटेंशन मिला तो उन्होंने एक और ऐसी टिप्पणी की जिसको लेकर के बहुत चर्चा भी और उनको बहुत आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर 17 अप्रैल को लिखा कि वफ संशोधन मुसलमानों की जमीन हड़का हड़पने की सरकार की भयानक और शैतानी चाल है उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई फैसला लेगा उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा और सरकारें कानून बनाती हैं उसके पक्ष और विपक्ष में आप बोल सकते हैं और भाषाई मर्यादा के तौर पर उन्होंने अपनी ये बात बोली अब निशिकांत दुबे साहब ने इसके ऊपर कोट किया अपने एक्स अकाउंट से और उन्होंने लिखा कि आप चुनाव आयुक्त नहीं बल्कि मुस्लिम आयुक्त थे यह टिप्पणी क्यों की क्योंकि एसवाई कुरैशी मुस्लिम थे
निशिकांत दुबे बनाम सुप्रीम कोर्ट: संवैधानिक सीमाओं की अनदेखी?
और भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त थे 2010 से लेकर 2012 तक और आपको बताएं 2010 से लेकर 2012 तक कई ऐसे चुनाव हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव जीते उनकी नेतृत्व में चुनाव कराए गए खैर उन्होंने विवादित बयान दे दिया कि यह चुनाव आयुक्त नहीं मुस्लिम आयुक्त थे अब उन्होंने आगे लिखा कि आपके कार्यकाल में झारखंड के संथाल परगना में सबसे ज्यादा बांग्लादेशी बांग्लादेशी घुसपैठियों को मतदाता बनाया गया उनके गांव विक्रमशिला को 1189 में बख्तियार खिलजी ने जला दिया था और विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने दुनिया को आतिश दीपांकर के रूप में पहला कुलपति दिया अब यह उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा और जैसा हमने बताया आपको कि कुरैशी साहब 30 जुलाई 2010 से 10 जून 2012 तक भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे और निशिकांत दुबे चार बार सांसद रह चुके हैं और चार बार यानी पहले फर्स्ट टाइम एमपी ने उन्हें पता है कि व्हाट इज़ इट टॉकिंग उनको पता है कि वो क्या कह रहे हैं और आपको पता है कि दुबे साहब का जब ये बयान आया तो हमने सुबह मुख्य चुनाव आयुक्त पूर्व एसवाई कुरैशी को फोन किया उनसे पूछा कि क्या इस पूरे मामले में बोलना चाहेंगे तो उन्होंने कहा कि देखिए वह बोलना नहीं चाहते हैं इस बारे में क्योंकि उन्होंने अपनी बात कहनी थी वो इस पूरे इस मामले को हवा नहीं देना चाहते हैं क्योंकि फिर वह कुछ बोलेंगे तो फिर सामने से प्रतिक्रिया आएगी तो उन्होंने कहा कि वह इस डिबेट में पड़ना नहीं चाहते हैं अब उन्होंने पढ़ने की बात तो नहीं की लेकिन उन्होंने अपने एक्स अकाउंट से एक ट्वीट किया उन्होंने एक्स अकाउंट से लिखा है आई लर्न लॉन्ग एगो नेवर टू रेसल विद अ पिग मैंने बहुत पहले सीखा था कि किसी सूअर से कुश्ती नहीं करनी चाहिए यू गेट डर्टी एंड बसाइड्स द पिग्स द पिग लाइक्स इट तुम गंदे होते हो और सूअर को ही मजा आता है अब यह जॉर्ज बर्नड श की यह लाइन उन्होंने लिखी और उन्होंने लिखा कि अ वेरी वाइस कोट ऑफ द ग्रेट ऑफ द ग्रेट ऑथर उन्होंने कहा कि यह बहुत वाइस कोट है एक बहुत बड़े आदमी ने लिखा अब उन्होंने किशोर इशारा किया है आपको पता ही है अच्छा तो अब यह सोशल मीडिया पर बात तो चली गई अब तमाम लोग लिख रहे हैं
पूर्व चुनाव आयुक्त पर निशाना: ‘मुस्लिम आयुक्त’ कहकर क्या संदेश?
निशिकांत दुबे साहब का एक पुराना 30 जुलाई 2021 का एक उन्होंने कोट किया हुआ है निशिकांत दुबे साहब ने शशि थरूर साहब के एक अह पोस्ट पर शशि थरूर साहब ने लिखा था कि टू द जर्नलिस्ट आस्किंग फॉर माय रिस्पॉन्स टू सर्टेन अनकउथ एंड अब्नॉशस कमेंट्स दिस इज़ व्हाई आई हैव नो इंटेंशन ऑफ रिप्लाई आई लर्न लॉन्ग एगो नेवर टू रेसल विद अ पिक किसी सूअर से कुश्ती नहीं करनी चाहिए आप भी गंदे होते हो और सूअर को मजा आता है उन्होंने भी यह बात लिखी तो उस पर निशिकांत दुबे साहब ने लिखा हां मैं सूअर हूं यह उनका पुराना कमेंट है अब इसको लेकर के भी बहुत चर्चा हो रही है निशिकांत दुबे साहब चार बार के सांसद हमने आपको बताया ही है अब जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को कह दिया कि आप देश में गृह युद्ध कराना चाहते हैं तो उन पर अवमानना का केस चलाने की मांग हुई है आपको बताएं कि अगर कोई मौजूदा सांसद है और उसके खिलाफ कारवाई करनी हो कानूनी और कोर्ट में अगर मुकदमा दाखिल करना है कोई पिटीशन फाइल करनी है तो उसमें देश के सॉललीिसिटर जनरल की हामी होनी चाहिए और देश के सॉललीिसिटर जनरल कौन है वो हैं तुषार मेहता आपको बताएं कि सुप्रीम कोर्ट पर ये जो टिप्पणियां की निशिकांत दुबे साहब ने उसको लेकर के अनस तनवीर जो कि वकील हैं उन्होंने अवमानना की कारवाई की मांग की है और अवमानना की कारवाई की मांग तब की जा सकती है और फाइल तब हो सकता है जब सॉलिटर जनरल यानी तुषार मेहता मेहता जो कि भारत सरकार के वकील है उसमें हामी भरे उनके पास उन्होंने लेटर भेज दिया है अगर सुप्रीम कोर्ट में कार्रवाई हो जाएगी और पिटीशन फाइल हो करनी है तो दस्तखत चाहिए तुषार मेहता साहब को सवाल यह है कि तुषार मेहता साहब क्या दस्तखत करेंगे निशिकांत दुबे साहब पर कार्रवाई करने के लिए ये एक बहुत बड़ा सवाल है यही तो खूबसूरती है हमारे देश के संविधान की जो चाहे अपनी मनमर्जी नहीं चला सकता है यहां पर भी अगर किसी सांसद पर कारवाई करनी है तो देश भारत सरकार के वकील की सहमति की जरूरत है तो अब गेंद तुषार मेहता के पाले में है
अवमानना और तुषार मेहता की भूमिका: कार्रवाई या चुप्पी?
क्योंकि तुषार मेहता भाई सबसे बड़े वकील हैं देश के और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बिगड़े बोल हैं सांसद जी के बीजेपी के अगर दस्तखत किए तो वह बुरे बनते हैं भारतीय जनता पार्टी जिस सरकार ने उन्हें एसडी नियुक्त किया है और अगर उन्होंने नहीं साइन किए तो सुप्रीम कोर्ट कहेंगे जजेस कहेंगे कि भाई आप भारत सरकार के सबसे बड़े वकील हैं आप के नीचे सुप्रीम कोर्ट पर ये टिप्पणियां की गई और आपने कुछ किया नहीं आपके पास मौका था बहरहाल अब इसमें सुप्रीम कोर्ट करे ना करे जब यह बयान आया तो भारतीय जनता पार्टी ने अपना पल्ला झाड़ लिया और इस मामले में जेपी नड्डा साहब ने कहा कि निशिकांत दुबे साहब और दिनेश शर्मा के बयान अपने खुद के बयान है इससे भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना देना नहीं है और भाजपा ऐसे बयानों से ना तो इत्तेफाक रखती है और ना ही कभी ऐसे बयानों का समर्थन करती है भाजपा इन बयानों को सिरे से खारिज करती है पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है उनके आदेशों और सुझावों को सहज स्वीकार किया है क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय समेत देश के सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग है संविधान के संरक्षण का मजबूत आधार स्तंभ है मैंने इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने का के लिए निर्देशित किया है तो नड्डा साहब ने कहा कि बयान नहीं देना है तो फिर आपको लगता है निशिकांत साहब रुक गए होंगे क्या लगता है आपको कमेंट करके बताइए हमें निशिकांत साहब रुके कि नहीं रुके इस इस बीच निशिकांत दुबे जी थोड़ा शायराना हो गए हेमंता विश्वा शर्मा ने एक एक्स पर लिखा कि भारतीय जनता पार्टी हैज़ कंसिस्टेंट अपेल्ड द इंडिपेंडेंस एंड डिग्निटी ऑफ़ द जुडिशरी एज अ कॉर्नर स्टोन ऑफ़ इंडियास डेमोक्रेसी यानी हमेशा भारतीय जनता पार्टी ने सम्मान किया है देश के लोग न्यायतंत्र का रिसेंटली नड्डा जी ने कहा है कि ऐसे इस पर कोई कमेंट नहीं करेगा और और इस पर उन्होंने बताया कि सब सारी बातें हैं लेकिन कांग्रेस के लोगों ने भी जस्टिस दीपक मिश्रा और रंजन गोगोई अरुण मिश्रा डीवाई चंद्रचूर के ऊपर काफी कुछ उन्होंने सारे कोर्ट्स लिख दिए कि जो जो कहा गया अब उसके उस पर निशिकांत दुबे साहब ने शायराना अंदाज में लिखा जिंदगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं हाय इस कैद को जेल व जंजीर की दरकार नहीं अच्छी बात है कि वो इसी बहाने कम से कम उर्दू तो बोल रहे हैं उर्दू तो अच्छी जुबान है मीठी जुबान है लेकिन एक तरफ आप उर्दू पोएट्री और इतनी मीठी जुबान कह रहे हैं दूसरी तरफ आप संविधान द्वारा एक पूरे नियम प्रोसेस करके बनाए गए मुख्य चुनाव आयुक्त को कह रहे हैं कि आप चुनाव आयुक्त नहीं बल्कि मुस्लिम आयुक्त थे और वो भी आप लॉ मेकर सांसद के तौर पर ऐसा कह रहे हैं तय आपको करना है फिलहाल हमने आपको बताया कि क्या कुछ चल रहा है और देखते हैं कि क्या तुषार मेहता दस्तखत करते हैं जिससे निशिकांत दुबे साहब पर कारवाई हो बहुत दिलचस्प यह मामला यहीं नहीं रुकेगा आगे बढ़ता जाएगा।