पहलगाम हमला: पर्यटकों को निशाना बनाकर कश्मीर की छवि को धूमिल करने की साजिश

 पहलगाम हमला: पर्यटकों को निशाना बनाकर कश्मीर की छवि को धूमिल करने की साजिश

22 तारीख को पहलगाम में जो हुआ जो आतंकी हमला पर्यटकों पर हुआ उसके बाद पूरा देश दुख में है। गुस्से में है। लोग आंखों में आंसू लिए श्रद्धांजलि दे रहे हैं उन लोगों को जिन्होंने अपनी जान इस आतंकी हमले में खो दी। यह एक ऐसा वक्त है जब पूरे देश को एकजुट होना चाहिए। पूरे देश को एक साथ होना चाहिए। पूरे देश को एक सुर में कहना चाहिए कि हम एक हैं। और हम एक साथ आतंकवाद से लड़ रहे हैं, लड़ेंगे और जीतेंगे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ऐसा हो रहा है? जब से यह आतंकवादी हमला हुआ है तब से आप देखेंगे सोशल मीडिया और मीडिया पर तमाम ऐसे बयान आ रहे हैं जो भारत की आत्मा पर चोट पहुंचाने वाले हैं और आतंकवादी यही तो चाहते थे तभी तो उन्होंने धर्म पूछ के हत्या की उनका मकसद पर्यटकों को निशाना बनाना उनका मकसद कश्मीर के पेट पर गोली मारना उनकी इकॉनमी पर उनकी इकॉनमी पर गोली मारना और उनका मकसद था भारत की एकता को तोड़ना और आप देखेंगे जब से ये हमला हुआ है आप तमाम जगह देखेंगे तमाम लोग लिख रहे हैं सोशल मीडिया पर कि धर्म देखकर मारा गया ये कश्मीरी किसी के नहीं हो सकते मुस्लिम किसी के नहीं हो सकते हैं वगैरह वगैरह वगैरह वगैरह हम उन बातों को दोहराना भी नहीं चाहते क्या यह एक जिम्मेदारी भरा रिएक्शन है। सबसे बड़ा सवाल यह है। आतंकवादी तो चाहते ही यही थे हमें तोड़ना। लेकिन क्या हम जो उनका एजेंडा है उसमें फंस रहे हैं। जो पाकिस्तान का एजेंडा है हम उसमें फंस रहे हैं। एक बहुत बड़ा सवाल है। हमला करने वाले आतंकवादी थे लेकिन बचाने वाले कश्मीरी। आप देखेंगे सोशल मीडिया पर तरह-तरह की बातें हो रही हैं और कश्मीर में शायद पहली बार हुआ है ऐसा कि पूरा कश्मीर एक सुर में इस आतंकी हमले की निंदा कर रहा है। नारे लग रहे हैं। कश्मीर से आई आवाज हिंदू मुस्लिम भाई इस तरीके के नारे लग रहे हैं। क्यों? क्योंकि पहली बार वहां पर आम लोगों को पर्यटकों को निशाना बनाया गया है। क्योंकि यह भारत पर हमला है। लेकिन कुछ लोग नहीं चाहते हैं ऐसा। कश्मीरियों पर एतबार ना करें। यहां बयान आ रहे हैं कि हम इंस्टट्यूट इंस्टट्यूट जाएंगे। जहां कश्मीरी बच्चे पढ़ रहे हैं देश में यूनिवर्सिटीज में उनको निकालेंगे। खबरें आ रही हैं कि कश्मीरी बच्चों को टारगेट किया जा रहा है। क्या यही हिंदुस्तान है? आप कुछ तस्वीरें देखिए जिसमें और यह बयान आप देख ही रहे होंगे कि जब हमला हुआ तो सेना तो नीचे थी और पहलगाम में ऊपर जहां पर जिसे मिनी स्विट्जरलैंड कहते हैं वहां पर ये पर्यटक थे वहां हमला हुआ वहां से नीचे लाए कौन लोग नीचे लाए वो लोग जो वहां पर पिट्ठू चलाते हैं कश्मीरी वो अपने कंधे में उठाउ उठा के लोगों को ले आए अपने घोड़ों में बैठा के लोगों को लेकर के आए अपने हाथों में उठा के लोगों को नीचे ले आए यहां तक कि एक कश्मीरी जिसका नाम सैयद हुसैन शाह है। उसने तो आतंकवादियों की बंदूक पकड़ने की भी कोशिश की। आतंकियों ने उसकी भी हत्या कर दी। आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता। और वो जानबूझ के ऐसा कर रहे थे। बता देना मोदी को जाकर के कि वो चाहते हैं कि हमारे देश में यह बातें हो। हमारे देश की आत्मा पर चोट पहुंचे। 



स्थानीय कश्मीरियों की बहादुरी: गोलियों के बीच इंसानियत की डोर थामे रहे

हमारे देश की एकता को चोट पहुंचाया जाए और बहुत सारे वो लोग जो वहां थे उनको बचा के भी कश्मीरी लाए जिसमें आदिल हुसैन सैयद हुसैन शाह ने अपनी जान दे दी और वो वहां पर काम करता था गरीब घोड़ा चलाता था उसके परिवार में वही कमाने वाला था उसने भी अपनी जान दी उसके जनाजे में खुद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी गए और चाहे वो कानपुर का शुभम द्विवेदी हो चाहे चाहे नेवी ऑफिसर हो हरियाणा के पूरा देश आंसुओं में है। लेकिन क्या जो रिएक्शंस दिए जा रहे है बांटने वाले क्या वो जायज हैं? सुनिए संकल्प को जो बता रहे हैं कि जो लोग हिंदू मुसलमान कराना चाहते हैं कश्मीर में इस आतंकवादी हमले के बाद वो कितना गलत है। बचाने वाले भी मुसलमान थे। बचाने वाले भी कश्मीरी थे। सुनिए संकल्प क्या कह रहे हैं। मैं संकल्प आज 23 अप्रैल 2025 को यह वीडियो पहलगाम से बना रहा हूं। कल 22 अप्रैल 2025 को ठीक हमारे पीछे ये जो स्नो कैप पहाड़ियां हैं उनके नीचे जो पाइन ट्रीज हैं वहीं है बेसारन वैली। वहां पे 28 लोगों की निर्मम रूप से आतंकवादियों द्वारा हत्या कर दी गई। वो निर्दोष टूरिस्ट जो अपनों के साथ इस जगह को घूमने आए थे। उनका कोई कसूर नहीं था। उनको मार दिया गया और कहा जाता है कि उनका धर्म पूछ के उन्हें मार दिया गया और जब यह देखा और जब इस पर मैं लगातार न्यूज़ देख रहा हूं कि बराबर इसी तरह से इस बारे में बात हो रही है तो मुझे लगा कि क्योंकि हम जिंदा हैं फॉर्चूनेटली तो मुझे लगा कि जिंदा कौमों को बात करनी चाहिए इसलिए वीडियो बनाना बहुत जरूरी हो गया। कल जब यहां पर हमला हुआ तब हम लोग अरू वैली में थे और जब हम लोग नीचे आ रहे थे तो करीब 4:30 बजे हमारे घर वालों के फोन जब बजने शुरू हुए जैसे ही हम नेटवर्क क्षेत्र में आए तो हमें पता लगा कि हमारे घर वाले बहुत ज्यादा पैनिकिक में रो रहे थे बिलख रहे थे परेशान थे हमारे होटल से हमको फोन आ रहे थे कि सर हमें आपकी बड़ी चिंता हो रही है आप लोग कहां पे हैं हम लोग होटल आ चुके थे और उसके बाद हमने न्यूज़ देखनी शुरू की और जैसे-जैसे इवेंट्स अनफोल्ड हुए तो हमें समझ में आया कि घर वाले क्यों इतने परेशान शांत थे। अचानक से जितने लोग हमारी सेवा में यहां पे हैं, उनकी आंखें बदल गई। उनकी आंखें शर्म से झुक गई उन कश्मीरियों की। इसलिए दो चार बातें बहुत जरूरी हो गई कहना। सबसे पहले यह कि जो 28 लोग वहां पे मार दिए गए जिनके परिवार उजड़ गए उनके लिए किसी भी हद तक अगर संवेदना व्यक्त की जाए ना वो पूरी नहीं हो सकती। क्योंकि वह लॉस इरिपेरेबल है। वो यहां पर क्या करने आए थे? वो जिंदगी का आनंद लेने आए थे। जिंदगी ही नहीं रही। परिवार उजड़ गए। और दूसरी तरफ एट द सेम टाइम यह रियलाइज हुआ कि जो कश्मीरी लोग हैं जिनके सिर माथे जिन्होंने हमको अपने लगाया था उनके परिवार कैसे उजड़ गए।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और चुप्पी: आतंकवाद पर मौन क्यों?

जब देखना शुरू किया कि लगातार बात हिंदू मुसलमान की हो रही है तो यह कहना जरूरी हो जाता है कि जब एक हमला हुआ तो इमीडिएट रिलीफ जहां पे ये हमला हुआ वहां पे या तो पैरों से जाया जा सकता है या घोड़े से जाया जा सकता है। जब हमला चल रहा था उस समय जो लोग बचाए गए उन्हें उन्हीं लोगों ने बचाया जिनको आप हिंदू मुसलमान में बांट रहे हैं। वो घोड़े वाले जिनका धर्म ऑब्वियसली सबको पता है। उन्होंने अपने घोड़े पे बिठा-बठा के लोगों को नीचे तक लाए रेस्क्यू किया। आर्मी के पास तक पहुंचाया। आर्मी को पहुंचने में जितना समय लगा अभी हमारे ऊपर से हर 5 से 10 मिनट में हेलीकॉप्टर निकल रहे हैं। हम लोग लगातार कल से हेलीकॉप्टर की आवाजाही देख रहे हैं। मैं सही बताता हूं आपको कि इस नदी की आवाज के बीच में वो हेलीकॉप्टर की आवाज ने हमको रात भर सोने नहीं दिया। यह सन्नाटा ह्टिंग था। तो फियर रियल है। ऐसा नहीं है कि डर नहीं लगता। डर है। उसके बावजूद यह कहना चाहता हूं कि क्योंकि हम यहां हैं और खुशकिस्मती से आप सबके बीच में हैं और जब तक यह वीडियो आएगा हम लोग अपने घर पर होंगे। यह बताना बहुत जरूरी है कि जब संवेदना उन परिवारों के साथ है जो उजड़ गए जिनके परिवार के लोग मार दिए गए तो संवेदना उन कश्मीरियों के साथ भी होनी चाहिए जिनको आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं। आपने सुना संकल्प क्या कह रहे हैं। वहीं दूसरे पर्यटक जिनका नाम अमरेंद्र कुमार सिंह है वो भी वहां पर थे। उनको भी इन कश्मीरियों ने घोड़े में बैठा के सुरक्षित निकाला वहां से और जाहिर सी बात है कि जब यह आतंकी हमला हुआ है कुछ लोकल्स ने साथ दिया होगा आतंकियों का कोई शक नहीं है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि कल हम पहलगाम में मारे गए सभी लोगों को विनम्र श्रद्धांजलि और ईश्वर उनके परिजन को दुख सहने की शक्ति दें। जाको राखे साइंयां मार सके ना कोई। सुनकर खुशी मिलता है। पर जो बेकसूर लोग मर गए जिनमें कम से कम तीन घोड़े वाले भी थे उनके लिए बेहद दुख और गुस्सा भी है। घटना स्थल घटना स्थल से सिर्फ 300 से 400 मीटर पर घोड़े पर मोना और हम थे। अचानक गोलियों की तड़तहट और भागते हुए ले लोग देख तुरंत समझ आ गया और जान प्राण लेकर हमारा भी घोड़ा घोड़े वाला हमको लेकर भागा। फिर वापस होटल जो पहलगाम में ही था उसमें आ गया। टूर कल से ही शुरू हुआ था और पहले दिन ही यह सब हो गया। फिर आगे का सारा प्रोग्राम छोड़ आज का टिकट लेकर वापस हो रहे हैं। फ्लाइट शाम की है। अभी ही एयरपोर्ट आ गया। आपसे अनुरोध है कि किसी बहकावे में ना आए। न्यूज़ में सुना रेकी किया गया था। जब पता था तो होने क्यों दिए? वहां किसी भी सिक्योरिटी फ़ से एक भी फोर्स की तैनाती नहीं थी। खैर अब तो राजनीति चलती रहेगी। कोई बोल रहा है जात धर्म नहीं पूछा आदिआदि ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। जो चले गए उनके लिए बेहद दुख है। ध्यान रखिए हजारों बचाए गए हैं। सिर्फ लोकल सपोर्ट के कारण संभव हो पाया। घोड़े वाला, गाड़ी वाला, होटल वाला सभी का सपोर्ट शानदार था। हालांकि गिद्ध लोग मौके की तलाश में रहते हैं। जहां होटल वाला पेमेंट नहीं लिया, गाड़ी वाला पैसा नहीं लिया, ड्राइवर रोकर जबरदस्ती करने पर टिप पकड़ा। वहीं श्रीनगर से दिल्ली दो टिकट का 38,000 पे करना पड़ा। यानी जो एयरलाइन वाले हैं वो पैसा ले रहे हैं। कश्मीरी घोड़े वाला पैसा नहीं ली। होटल वाला पैसा नहीं ली लेकिन एयर एयरलाइन वाले ले रहे हैं। आतंक फैलाने वाले और आतंकवादी के खिलाफ लड़ाई चलती रहनी चाहिए। 

सोशल मीडिया का द्विचरित्र: कश्मीरियों को 'देशद्रोही' बताने वालों को जवाब मिला?

इसमें पूरे देश को एकजुट रहना चाहिए। सावधान रहिएगा। राजनीति चालू आए जो चले गए ईश्वर उनको चरणों में जगह दे। विनम्र श्रद्धांजलि घटना से पहले की कुछ तस्वीर जिसमें ये पति-पत्नी एक दूसरे का हाथ पकड़ के खड़े हुए हैं। जो वहां थे जो उन्होंने देखा वो बयां कर रहे हैं। जो वहां नहीं थे वो एक ट्रैप में फंस रहे हैं। यही तो मंशा है उन लोगों की जो भारत के को तोड़ना चाहते हैं। टुकड़े-टुकड़े करना चाहते हैं। उस मंशा में क्या हम उनको कामयाब होने देंगे? एक बहुत बड़ा सवाल है। सरकार अपना काम कर रही है। सरकार सेना पर भरोसा भी रखना चाहिए। लेकिन कुछ सवाल भी हैं कि वहां पर जैसे अमरे ने उठाया कि कोई सिक्योरिटी वाला क्यों नहीं था? ऊपर जाना पड़ता है घोड़े में चढ़कर। जंगल से जाना पड़ता है। कोई सिक्योरिटी वाला नहीं। आप कहते हैं कश्मीर सुरक्षित है। सब लोग आए कश्मीर देखें पर्यटन बढ़ेगा। लेकिन क्या हम उनको सुरक्षा दे पा रहे हैं? किसकी जिम्मेदारी है? वहां की सुरक्षा व्यवस्था गृह मंत्रालय के हाथ में है। एलजी बॉस हैं उसके। मनोज सिन्हा बॉस हैं। काफी सालों से हैं वहां पे। खैर ये सब चीजों पे इस समय बात करने की जरूरत नहीं है। यह हमारा विशेष हमारी विशेष प्रस्तुति है। हम बताएं कि कश्मीर में क्या हो रहा है और पूरा कश्मीर एकजुट होकर के एक आवाज में इस पूरे आतंकी हमले की निंदा कर रहा है। लेकिन यहां कश्मीरियों के बॉयकॉट की बात हो रही है। कश्मीर हमारे भारत का हिस्सा है। कश्मीर ही हमारे भारतीय हैं। सुनिए उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा उस घोड़े वाले के बारे में जिसने अपनी जान गवा दी इस आतंकी हमले में। ये एक शख्स थे जिन्होंने हमले को रोकने की कोशिश की और जिन्होंने शायद बंदूक छीनने की भी कोशिश की और तभी जाके इनको निशाना बनाया गया। इसकी पुरजोर मजम्मत उन लोगों के साथ ताजियत और हमदर्दी का इजहार जिनके ऊपर और जिनके साथ ये सदमा पीता है हमारे बाहर से मेहमान आए थे छुट्टी मनाने के लिए बदकिस्मती से उनको कफनों में घर वापस भेजा गया है। यहां हमारा एक गरीब नौजवान मजदूरी करके रोजी रोटी कमाने वाला आदिल घर से निकला था मेहनत की कमाई करने के लिए बदकिस्मती से आज उनका कफ़न जो है उनके घर लौटा दिया गया। लेकिन सुनने में आया है कि इनकी मौत ऐसे नहीं हुई। यह बहादुरी का सबूत दिखा रहे थे। वहां लोकल सुनने में आया है  कि ये एक शख्स थे जिन्होंने हमले को रोकने की कोशिश की और जिन्होंने शायद बंदूक छीनने की भी कोशिश की। और तभी जाके इनको निशाना बनाया गया। आपने उमर अब्दुल्लाह को सुना। अब सुनिए कुछ ऐसे पर्यटकों को जो वहां पर हैं पहलगाम में थे गुलम्ग में थे जो वापस आ रहे हैं उनके साथ कश्मीरी कैसा बर्ताव कर रहे हैं वो भी सुनना बहुत जरूरी है टिकट कैंसिल्स हो रहे हैं लोग अपनी बुकिंग कैंसिल कर रहे हैं सब सारी चीजें हो रही हैं लेकिन जो लोग वहां हैं उनके साथ कैसा बर्ताव है वो भी सुनिए और और इस समय अंत में यही कहना चाहूंगा एक रहने का समय है एक्चुअली में अगर बट गए तो फिर कट जाएंगे सुनिए उन लोगों को जो कश्मीर में हैं जो पर्यटक हैं। जय भारत जय कश्मीर जय कश्मीर हम यहां हिंदुस्तान ये कश्मीर है और हमारे भारत का ताज है। यहां पर आने से कोई भी नहीं घबराए क्योंकि यहां पर आपके लिए बहुत सारी सेनाएं, मिलिट्री, पुलिस फ़ और यहां की स्थानीय पब्लिक भी आपके पूरे सपोर्ट में बैठी हुई है। किसी भी बात का कोई भी डर नहीं। इसलिए आप लोग यहां पे जरूर आए और बहुत ही अच्छी जगह है। यहां पे आए एक बार जरूर आए। यहां की मिलिट्री को पूरापूरा सैल्यूट है कि वो प्रॉपर ध्यान रखते और कहां से जा रहे हैं, कहां आ रहे हैं ताकि कहीं से कुछ अनहोनी घटना जो कल हुई थी तलगांव में वो अनहोनी घटना आगे नहीं हो और वो भी उनके अलग से हो गई। अब कैसी वो तो वैसे गद्दार सुबह क्या सोच रहे थे जब सब सुबह होटल से जब हम सुबह सोच रहे थे कि हम नहीं जाना है हमारा ड्रीप को यहीं से कैंसिल करके हम आगे भी अभी आप सनमार्ग में हो कैसा लगा आपको सनमार्ग पहुंच के यहां की पब्लिक सबसे अच्छी लगी वो हम लोगों को बहुत सपोर्ट किया बहुत आनंद आया बहुत आर्मी वालों ने भी हमें बहुत सपोर्ट किया बहुत सपोर्ट करते हैं आप जो भी आना चाहते हो आ सकते हो। ऐसी कोई घबराने जैसी बात नहीं है। आप यहां पे आइए और जरूर आइए। बहुत अच्छे और लोगों का यहां के स्थानीय लोग बहुत अच्छे हैं। 


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