सवाल अदालत से नहीं, उसकी स्वायत्तता से है: निशिकांत दुबे प्रकरण का राजनीतिक और संवैधानिक विश्लेषण
इस देश में जितने भी गृह युद्ध हो रहे हैं उसके लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं यह शब्द हैं भारतीय जनता पार्टी के विवादास्पद सांसद निशिकांत दुबे के निशिकांत दुबे और भारतीय जनता पार्टी के तीन सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट पर प्रहार किया है वह सोच जो देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने जिसकी शुरुआत की जिस बयानबाजी की शुरुआत इन्होंने की जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर प्रहार किया था अब वह एक बीमारी के तौर पर बदल रही है दोस्तों भारतीय जनता पार्टी कह रही है कि जो बात निशिकांत दुबे और उनके सांसदों न कही है उनसे हमारा कोई लेना देना नहीं है वो उनके निजी बयान है मगर हकीकत यह है दोस्तों कि सुप्रीम कोर्ट को गाली देकर भारतीय जनता पार्टी इस देश में अराजकता मचाना चाहती है सुप्रीम कोर्ट को गाली दी जा रही है दोस्तों सही कहा आपने मगर एक बात मैं स्पष्ट कर दूं इस देश में अराजकता सुप्रीम कोर्ट नहीं भारतीय जनता पार्टी उसकी सोच और उसके सहयोगी संगठन मचा रहे हैं इस देश में दंगे भारतीय जनता पार्टी के नेता मचा रहे हैं इसी मंच पर मैंने आपके सामने ये लिस्ट पेश की थी 10 सबसे ज्यादा नफरती भाषण देने वाले लोग और ये 10 के 10 भारतीय जनता पार्टी के नेता थे टॉप तीन में अमित शाह योगी आदित्यनाथ और स्वयं प्रधानमंत्री थे और आज ये लोग सुप्रीम कोर्ट को गाली दे रहे हैं दोस्तों मैं आपको बतलाना चाहता हूं कि दरअसल निशिकांत दुबे ने क्या कहा वो कहते हैं कि जितने गृह युद्ध हो रहे हैं उसके लिए केवल और केवल चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं वो वहां नहीं रुकते हैं झारखंड के गोडा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है इसे बंद कर देना चाहिए इसके साथ उन्होंने कहा कि इस देश में जितने गृह युद्ध हो रहे हैं उसके लिए केवल चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं और यहां पर सिर्फ निशिकांत दुबे नहीं है कायदे से यह वो निशिकांत दुबे है जो संसद के अंदर खड़े होकर झूठ बोलते हैं याद कीजिएगा दोस्तों संसद में खड़े होकर इसने मेरे बारे में और दो अन्य पत्रकारों के बारे में झूठ बोला था यह व्यक्ति इतना बड़ा कायर है कि इसमें हिम्मत नहीं थी वही बात बाहर आकर कहे क्योंकि यह जानता था कि यह झूठ बोल रहा था और अब एक बार फिर यह सुप्रीम कोर्ट पर प्रहार कर रहा है मैं फिर आपसे सवाल पूछना चाहता हूं अगर ऐसा बयान राहुल गांधी ने दिया होता विपक्ष के किसी सांसद नेता ने दिया होता किसी झूठ भैया नेता ने दिया होता तो अब तक प्राइम टाइम डिबेट्स हो रहे होते मगर गोदी मीडिया पूरी तरह से खामोश है शर्मनाक है मैं आपको बतलाना चाहता हूं भाजपा के एक और सांसद दिनेश शर्मा जो कि राज्यसभा से सांसद हैं उन्होंने क्या कहा उत्तर प्रदेश से बीजेपी की राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए गए बयान को लेकर कहा जब बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान बनाया था तो उसमें उन्होंने विधायिका और न्यायपालिका के अधिकारों का स्पष्ट रूप से वर्णन किया था
एक खतरनाक प्रवृत्ति की ओर इशारा
भारत के संविधान के अनुसार कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देशित नहीं कर सकता है और राष्ट्रपति ने पहले ही इस पर अपनी सहमति दे दी है कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता है क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च है सीधा सा सवाल अगर ये सरकार मनमानी करेगी क्या तब भी सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देगा आप लोग कानून कैसे बनाते हैं आप लोग किस तरह से दिशा निर्देश तय करते हैं ये तो दुनिया जानती है ना क्या आप भूल गए कि तीन कृषि कानून कैसे लाए गए थे क्या आपने उसमें आम सहमति कायम की थी और फिर कायरों की तरह आपने उन तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया था सबसे बड़ी बात निशिकांत दुबे जो तर्क दे रहे हैं उन तर्कों में पूरी तरह से एक तानाशाही एक अराजक सोच सामने उभर कर आती है वो जिक्र करते हैं आर्टिकल 377 और आईटी के 66 ए एक्ट की वो कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों को हटा दिया मैं आपसे पूछना चाहता हूं आर्टिकल 377 के अंतर्गत देश की जो समलैंगिक हैं क्योंकि समलैंगिक भी इस देश के नागरिक है ना इंसान हैं उनके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था ये आदमी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठा रहा है निशिकांत दुबे फिर वो 66 ए की बात करते हैं आप जानते हैं दोस्तों आईटी एक्ट का जो 66 ए था उसके जरिए सरकारें आम लोगों पर ज्यादती कर रही थी दबिश डाल रही थी यही वजह है कि उसको हटाया गया मगर अब निशिकांत दुबे इस धारा का इस्तेमाल कर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट पर हमला बोलने के लिए इस व्यक्ति ने तमाम हदों को पार कर दिया है स्वाभाविक सी बात है इस पर जबरदस्त राजनीतिक प्रतिक्रिया हुई है राजनीतिक दलों ने उनकी आलोचना की है मैं आपको ये भी बतलाना चाहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों ने इस पर शोक जाहिर किया है मगर इससे पहले कि मैं आपके सामने पेश करूं कि जेपी नड्डा ने क्या कहा है मैं आपके सामने बताऊं कि तमाम विपक्षी दल क्या कह रहे हैं मैं आपके सामने 10 सवालों की एक फहरिस्त पेश करना चाहता हूं और ये 10 सवाल भारतीय जनता पार्टी से हैं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के नेता अब सुप्रीम कोर्ट को गाली देने पर उतर आए हैं इसलिए बहुत जरूरी हो जाता है कि सवाल आपके सामने रखे जाएं और ये सवाल पैदा होते हैं जो बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कही जो निशिकांत दुबे कह रहे हैं जो दिनेश शर्मा कह रहे हैं और भाजपा के एक और सांसद ने भी कही है जिसका जिक्र मैं कुछ देर बाद करूंगा वो 10 सवाल क्या है एक-एक करके आपकी स्क्रीन्स पर पहला सवाल सरकार बताएं कि देश में कहां-कहां गृह युद्ध चल रहे हैं क्योंकि भाई अगर सांसद निशिकांत दुबे ऐसा कह रहे हैं तो बताएं कहां-कहां गृह युद्ध चल रहे हैं दूसरा सवाल अगर गृह युद्ध चल रहे हैं तो प्रधानमंत्री और गृह मंत्री क्या कर रहे हैं सीधी सी बात है साहब अगर गृह युद्ध चल रहे हैं और अगर सरकार उसे रोकने में नाकाम है तो इस्तीफा दीजिए तीसरा सवाल मणिपुर में महीनों गृह युद्ध जारी रहा क्या इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है वहां तो साफ तौर पर डबल इंजन की सरकार की नाकामी दिखाई दी चौथा सवाल मस्जिदों के सामने किस पार्टी के सहयोगी संगठन बवाल करते हैं और दंगा भड़काने की कोशिश करते हैं बताइए मस्जिदों के सामने आप बवाल करते हैं पटाखे फोड़ते हैं अश्लील गाने चलाते हैं और प्रधानमंत्री खामोश रहते हैं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के मुंह से आलोचना का एक शब्द नहीं निकलता है उल्टा ऐसे दंगाइयों का महिमा मंडन भाजपा करती है ग्राहम स्टेंस और उसके दो मासूम बच्चों के हत्यारा जब छूटता है
निशिकांत दुबे का बयान: क्या यह सिर्फ व्यक्तिगत विचार है या राजनीतिक लाइन?
भाजपा की राज में 25 साल बाद तो जय श्री राम के नारों के साथ उसका स्वागत किया जाता है और यह सुप्रीम कोर्ट को अराजक बता रहे हैं अगला सवाल क्या सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भीड़ खड़ी की जा रही है और यह बहुत अहम सवाल है दोस्तों क्योंकि आपको याद होगा जब महाराष्ट्र पर पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूर ने कुछ फैसले सुनाए थे तब आपको याद होगा भाजपा के पूरे प्रचार तंत्र ने उन पर प्रहार किया था मामला इस कदर गंभीर हो गया था कि कुछ सांसदों को राष्ट्रपति को शिकायत करनी पड़ी थी यह हालत हो गई है दोस्तों इनके खिलाफ एक फैसला आ जाता है यह लोग इसी तरह के बयानात देते हैं चाहे निशिकांत दुबे हो चाहे गिरिराज सिंह हो या चाहे अमित शाह हो जी हां दोस्तों अगला सवाल क्या भाजपा अपने कट्टर समर्थकों को ऐसे बयान देकर संबोधित कर रही है और क्या ये आग के साथ खेलने समान नहीं है क्योंकि आपको याद होगा इसी मंच पर मैंने आपको बताया था वफ बिल पर जैसे ही फैसला आता है तो सुप्रीम कोर्ट के गुंबद को एक इस्लामिक स्ट्रक्चर के तौर पर पेश करते हैं भाजपा के वो तमाम दो रुपल्ली ट्रूल्स जिन्हें प्रधानमंत्री Twitter पर या सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर फॉलो करते हैं सुप्रीम कोर्ट को गालियां दी जाती है उसे शरिया कोर्ट ऑफ इंडिया कहा जाता है क्या निष्कांत दुबे ने ये बयान उन्हीं कट्टर समर्थकों को संबोधित करने के लिए कहा आगे साहब आगे और सातवां सवाल जो बहुत अहम हो जाता है जगदीप धनकड़ के सुप्रीम कोर्ट पर प्रहार को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के बयान को न्यूक्लियर मिसाइल बताया सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ इतना कहा था दोस्तों कि राज्यपाल आर एन रवि सरकार के कामकाज में व्यवधान पैदा ना करें कई महीनों से बिल पर बैठे रहते हैं ऐसा ना करें यह व्यक्ति इस कदर बौखला गया कि इन्होंने सुप्रीम कोर्ट को न्यूक्लियर मिसाइल बता दिया अगला सवाल आपकी स्क्रीन्स पर क्या राज्यपाल सिर्फ भाजपाई एजेंट बनकर काम करेंगे आठवां सवाल क्या बीजेपी सत्ता के सामने नतमस्तक सुप्रीम कोर्ट चाहता है जिसमें बीजेपी की मदद से सुप्रीम कोर्ट के जज राज्यसभा भेजे जाएं या राज्यपाल बनाए जाएं इन चेहरों पर गौर कीजिए रंजन गोगोई अब्दुल नजीर अशोक भूषण यह तमाम चेहरे हैं दोस्तों और इसके अलावा जस्टिस अरुण मिश्रा जो प्रधानमंत्री की तारीफ कर रहे हैं जस्टिस दीपक मिश्रा यह लंबी चौड़ी फेहरिस्त है उन जजों की जिन्होंने भाजपा की तारीफ की शेखर यादव इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यह व्यक्ति न सिर्फ प्रधानमंत्री की तारीफ करते हैं और यह कहते हैं संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए कि देश जो है वह बहुमत की राय से चलेगा संविधान से नहीं चलेगा शर्म आती है इनको अगला सवाल आपकी स्क्रीन्स पर क्या बीजेपी मोदी की तारीफ करने वाले जज चाहती है क्या आजाद भारत की सबसे अराजक पार्टी बीजेपी है दोस्तों आपको समझना पड़ेगा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना से इनकी चिढ़ क्या है मुद्दा सिर्फ वफ का नहीं है गौर कीजिए मैं क्या कहने जा रहा हूं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना से चिढ़ इसलिए भी है क्योंकि संजीव खन्ना की बेंच ने आदेश दिया था कि जब तक वह पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो जाती तब तक देश में कोई और मंदिर मस्जिद मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता नतीजा हुआ कि रोज-रोज़ मंदिर मस्जिद विवाद के नए-नए मामले अदालत में जो आ रहे थे उस पर विराम लग गया आपको याद होगा दोस्तों कि किस तरह से इस मस्जिद के नीचे मंदिर है इस मजार के नीचे मंदिर है रोज इस तरह के मामले आ रहे थे और तब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि जब तक इस मामले की सुनवाई नहीं हो जाती ऐसे मामले सामने नहीं आएंगे भाजपा को चिड़ दरअसल इस बात की है मैं जेपी नड्डा से पूछना चाहता हूं आपकी पार्टी का लंबा चौड़ा इतिहास है जहां आप लोग गाली देते हैं सुप्रीम कोर्ट को जी हां जब सुप्रीम कोर्ट आपके पक्ष में फैसला नहीं सुनाता है निशिकांत दुबे ये कह रहे हैं कि साहब राम मंदिर को लेकर तो सबूत चाहिए मगर वफ बिल को लेकर कोई सबूत नहीं चाहिए सरासर गलत कह रहे हैं आप आप यह नहीं भूल सकते जब इन पांच जजों ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था तो उस फैसले में ऐसा कहीं नहीं लिखा हुआ था कि बाबरी के नीचे राम मंदिर था पढ़िए उस फैसले को और बात वहां नहीं रुकती ये भी कहा गया था कि इलीगली अवैध ढंग से रामलला की मूर्ति जो है आजादी के बाद स्थापित कर दी गई थी ये कहने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था मैं आपको सुप्रीम कोर्ट के ऐसे ढेरों फैसले सुना सकता हूं जहां अंतरात्मा की आवाज पर फैसले सुनाए गए हैं साहब जहां संविधान को ताक पर रखकर अंतरात्मा की आवाज की बात की गई है और यह निष्कांत दुबे राम मंदिर बनाम वक्त बिल की बात करता है अभी तो फैसला भी सामने उभर कर नहीं आया है इस वक्त सिर्फ विचारों की अभिव्यक्ति राइट ऑफ़ एक्सप्रेशन के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऑब्ज़रवेशंस की थीं और यह व्यक्ति इस कदर बौखला गया है मैं आपको बताना चाहता हूं कि जेपी नड्डा इस मुद्दे से पल्ला झाड़ रहे हैं वो कहते हैं भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है ये इनका व्यक्तिगत बयान है लेकिन भाजपा ऐसे बयानों से ना तो इत्तेफाक रखती है और ना ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है भाजपा इन बयानों को सिरे से खारिज करती है
बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रियाएं: संगठित हमला या अराजकता का संकेत?
भाजपा ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग है तथा संविधान के संरक्षण का मजबूत आधार स्तंभ है मैं इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित करता हूं मगर बड़ा सवाल और यह सवाल है जेपी नड्डा साहब से आप इन सांसदों के बारे में क्या करने वाले हैं क्या इन पर अदालत की अवमानना का केस चलेगा क्या भाजपा खुद इनके खिलाफ अदालत की अवमानना का केस चलाएगी आज आप लोग संविधान की बात करते हैं लोकसभा चुनाव के दौरान आपके आधा दर्जन नेताओं और मंत्रियों ने सांसदों ने लगातार संविधान को बदलने की बात की आपके नेता बाबासाहेब अंबेडकर की बात कर रहे हैं आए दिन आपके नेता बाबासाहेब आंबेडकर का अपमान करते रहते हैं और जो लोग संविधान को बदलने की बात कर रहे थे क्या प्रधानमंत्री ने उन पर कोई सख्ती से कार्रवाई की और सिर्फ दो सांसद नहीं है दोस्तों एक और सांसद आपकी स्क्रीन्स पर इनका नाम है मंदन कुमार मिश्रा वो कहते हैं कि मणिपुर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया मगर इस वक्त पश्चिम बंगाल के कई हिस्से जल रहे हैं सुप्रीम कोर्ट की आंखें बंद हैं देश सुप्रीम कोर्ट की तरफ देख रहा है मगर सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की कोई नसीहत नहीं दे रही है यानी कि ये लोग चाहते हैं कि अगर पश्चिम बंगाल में सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्देश दे दे तो सुप्रीम कोर्ट ठीक हो जाता है डेढ़ साल से ज्यादा वक्त मणिपुर जलता रहा क्या कारवाई की थी बताइए आपने सुप्रीम कोर्ट को आखिरकार जाकर कुछ कहना पड़ा और सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में भी राष्ट्रपति शासन लागू करने की बात नहीं की थी आप जानते हैं इसकी पहल केंद्र सरकार की तरफ से होती है यह सिफारिश केंद्र सरकार की तरफ से आती है आप क्यों नहीं पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने का फरमान जारी करते हैं क्यों नहीं जारी करते हैं आप क्योंकि आप जानते हैं अगर ऐसा होगा तो इसका नुकसान किसी और को नहीं भाजपा को होगा पश्चिम बंगाल में जो हुआ वो शर्मनाक था और उसको लेकर मैंने लगातार मुद्दा उठाया है एक नहीं कई बार उठाया है मगर सबसे बड़ा सवाल मणिपुर पर तो प्रधानमंत्री खामोश रहते हैं ना बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार होते हैं तो आप खुलकर सामने क्यों नहीं आते हैं चीन हमारे 21 जवानों को शहीद कर देता है और प्रधानमंत्री कहते हैं ना कोई आया है ना कोई गया है यह कायरता भाजपा की सोच में दिखाई देती है यह दोहरे मापदंड आपकी सोच में दिखाई देती है भाजपा चाहती है कि उन्हें ऐसा सुप्रीम कोर्ट चाहिए जो पूरी तरह से नतमस्तक हो इस तस्वीर को देख ही गए हैं जगदीप धनकड़ देखिए किस तरह से प्रधानमंत्री के सामने झुके हुए हैं भाजपा यही चाहती है कि तमाम जो संवैधानिक संस्थाएं हैं वो इसी तरह से प्रधानमंत्री के सामने नतमस्तक हो जाए यही है निशिकांत दुबे की बौखलाहट की वजह यह मत सोचिए कि ये सिर्फ तीन सांसदों की राय नहीं यही भाजपा की राय है और मैं फिर दोहरा दूं अराजक सुप्रीम कोर्ट नहीं अराजक है भाजपा की सोच बहरहाल जैसे ही बयान आता है कांग्रेस के नेता इस पर प्रहार करते हैं मैं आपको बतलाना चाहता हूं जयराम रमेश ने इस पर क्या कहा संवैधानिक पदाधिकारी मंत्री और बीजेपी के सांसद भी सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोलने में लगे हुए हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भी यह कह रही है कि जब कानून बनाते हैं तो संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ मत जाइए अगर संविधान के खिलाफ हैं तो हम इस कानून को स्वीकार नहीं कर सकते हैं कांग्रेस पार्टी चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट स्वतंत्र निष्पक्ष हो और संविधान ने उनको जो अधिकार दिए हैं उनका पूरा सम्मान करना चाहिए लेकिन यह बिल्कुल साफ है कि जानबूझकर अलग-अलग आवाजें आ रही हैं और सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया जा रहा है
लोकतंत्र की रक्षा कौन करेगा जब न्यायपालिका ही निशाने पर हो?
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड से लेकर वफ बोर्ड तक सरकार को लेकर कहा है कि जो उसने किया है वो गैर संवैधानिक है सुनिए इस बारे में क्या कह रहे हैं असदुद्दीन ओवैसी सुनिए तो गए आवाम में भी जा रहे हैं नहीं कोर्ट कानून कैसे बनाएगा अरे जालिमों सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट कानून का मौखफ रखता है पढ़ो तुम लोग ट्यूबलाइट हो तुम लोग थम्स अप हो तुम्हारे दिमाग में एक ही बात बैठा हुआ है नहीं मोदी है तो खुदा है अरे खुदा था है और रहेगा उसी का नाम आइन है और रहेगा मगर इस तरह धमकी देना अदालत को और फिर गवर्नर प्रेसिडेंट को बोल रहे हैं बोल रहे उनको बोल रहे हैं अगर नहीं करें तो कानून बन जाएगा अरे 142 क्या है प्यारे 142 आइन का बनाने वाला अंबेडकर है अंबेडकर में तुम्हारे से ज्यादा दूरंदेशी थी आप ये बोल रहे हैं कैसा बनाएं वो कैसा बनाएं हम ऐसा कर देंगे मगर मेरे अजीज दोस्तों और बुजुर्गों बीजेपी आइन पर एक फ्रॉड कर रही है और डरा रही है रिलीजियस वार की धमकी बीजेपी दे रही है मिस्टर मोदी कौन रेडिकलाइज हो चुका है बताओ आप सत्ता में आप हैं आपके लोग रेडिकलाइज हो चुके हैं इतना रेडिकलाइज हो चुके हैं कि कोर्ट को धमकी दे रहे हैं रिलीजियस वार हो जाएंगे मोदी जी अगर यह धमकी देने वालों को आप नहीं रोकेंगे देश कमजोर होगा और देश कभी भी माफ नहीं करेगा आज सत्ता इख्तेदार आपके पास है कल नहीं रहेगा इंशा्लाहो ताला कल नहीं रहेगा इंशा्लाह ताला अब भारत का हिंदू भी जान चुका है कि वफ का कानून बनाए तो क्या मेरे को नौकरी मिलती हिंदू जान चुका है के मुसलमानों की नफरत को दिखाकर मुसलमानों को डराकर वोट बटोरती आई बीजेपी दिखाने के लिए कुछ नहीं है 4 5% नौजवानों में बेरोजगारी है उनके बेरोजगारी को दूर करने का कोई प्रोग्राम नहीं मगर सिर्फ मुसलमानों को नफरत का निशान बना दो निशिकांत दुबे वो शख्स है दोस्तों जो संसद के अंदर खड़े होकर झूठ बोलते हैं इन्होंने मेरे बारे में झूठ कहा था दो अन्य पत्रकारों के बारे में झूठ कहा था और संसद के अंदर क्यों कहा था क्योंकि ये जानते थे कि अदालत में इन्हें चुनौती नहीं दी जा सकती यह व्यक्ति इतना बड़ा कायर है कि बाहर आके अपने उन्हीं बयानों को जो इसने मेरे बारे में कहा था दोहरा नहीं सकता क्योंकि ये जानता है कि मैं इसे अदालत घसीट कर ले जाऊंगा आज इसके इस बयान ने बवाल मचा दिया है यह सुप्रीम कोर्ट पर प्रहार कर रहा है और तीन-तीन सांसदों के इस बयान से स्पष्ट हो जाता है और उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ के इस बयान से स्पष्ट हो जाता है कि किस तरह की अराजकता इनके मन में है सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अशोक गांगुली क्या कह रहे हैं
यह सिर्फ बयान नहीं, लोकतंत्र पर हमला है
इस पर गौर किया जाए दोस्तों भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए गए बयान को लेकर पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज अशोक कुमार गांगुली ने कहा हमारा देश एक सेकुलर देश है सुप्रीम कोर्ट का काम है संविधान की आत्मा की रक्षा करना इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने वफ एक्ट को लेकर सरकार से कुछ सवाल पूछे इसके बाद सरकार बैकफुट पर आ गई और बोली कि वो एक्ट के कुछ सेक्शंस लागू नहीं करेगी संविधान के आर्टिकल 53 के मुताबिक राष्ट्रपति को संविधान के अनुसार काम करना होगा अगर ऐसा नहीं होता तो सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को दिशा निर्देश दे सकता है इसमें कुछ गलत नहीं है बल्कि इससे लोकतंत्र मजबूत होता है यह दुर्भाग्यपूर्ण है उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ को समझना चाहिए कि कानून के ऊपर कोई नहीं है भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को और खुद को कानून के ऊपर जो है वह समझती है मैं आपसे सवाल पूछना चाहता हूं आजाद भारत के इतिहास में ऐसी ढेरों मिसाले हुई हैं जब जजेस जो हैं वो सत्ता पार्टी की मदद से मलाईदार पोस्टिंग्स उन्हें हासिल हुई है मगर जो हम पिछले पांच छ सालों में देख रहे हैं क्या इसकी मिसाल आपको कहीं मिलेगी इस मंच पर मैंने ऐसे ढेरों कार्यक्रम किए हैं जहां जजों ने अपनी साख पर भट्टा लगाया है उन्होंने खुलकर प्रधानमंत्री की तारीफ की है इसी मंच पर मैंने ऐसे कई कार्यक्रम किए हैं आज कांग्रेस जो सवाल पूछ रही है दोस्तों वो बहुत वाजिब है पवन खेरा क्या कहते हैं आपकी स्क्रीन्स पर ना इनकी संविधान में आस्था है ना ही न्यायपालिका में विश्वास है भाजपा के सांसद की ये अराजक भाषा लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है यह सब मोदी जी की मूक सहमति से हो रहा है प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया लव्स द वर्ड एनाकी हज ओन एमपी स्प्रेडिंग एनाकी परहैप्स विथ अ साइलेंट और विस्पर्ड अप्रूवल ऑफ नरेंद्र दामोदर दास मोदी कांग्रेस एक गंभीर आरोप लगा रही है कि यह जो भी हो रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रजामंदी से हो रहा है हाथ कंगन को आरसी क्या दोस्तों मुझे बताइए देश के किस प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को गलत ढंग से पेश करके यह तक कह दिया था कि आपकी दो भैंसों में से एक भैंस मुसलमानों को दे दी जाएगी श्मशान वर्सेस कब्रिस्तान का डिबेट किसने करवाया था बताइए आपका मंगलसूत्र ज्यादा बच्चा पैदा
करने वालों को दे दी जाएगी इस तरह का जहर आखिर कौन उगल रहा था यह सब प्रधानमंत्री कर रहे थे दोस्तों और जैसा कि मैंने कार्यक्रम की शुरुआत में बताया इस लिस्ट को देखिए टॉप 10 नफरती बयानबाजी करने वाले और यह सब के सब भाजपा से हैं टॉप तीन में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह यह तीन लोग हैं इनके ढेरों बयान है जहां यह लोग नफरती भाषण देते हैं जहां यह लोग झूठ को बढ़ावा देने वाली बात कहते हैं और यह देश का दुर्भाग्य है कि सत्तारूढ़ पार्टी इस तरह से कर रही है इनके इन बयानों से सिर्फ और सिर्फ अराजकता मच रही है कल को वक्फ बिल पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी अंतिम फैसला आता है दोस्तों यह लोग इस बात को बढ़ावा दे रहे हैं कि आप सड़क पर उतरे सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ यह लोग सुप्रीम कोर्ट के जजों के जानी दुश्मन बने हुए हैं यह लोग सुप्रीम कोर्ट के जजों पर दबाव बना रहे हैं कि अगर जज बनना है तो रंजन गोगोई अशोक भूषण अरुण मिश्रा दीपक मिश्रा इस तरह के जजेस बनिए अब्दुल नज़र जैसे जजेस बनिए जो भाजपा की मदद से मलाईदार पोस्टिंग हासिल करना चाहते हैं या जो लोग प्रधानमंत्री की खुलकर तारीफ करना चाहते हैं रिटायरमेंट के बाद नहीं उससे पहले कितने शर्म की बात है